- रबी विपणन सत्र (RMS) अप्रैल से मार्च तक चलता है।
- खरीफ विपणन सत्र (KMS) अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।
- डोमेस्टिक और ग्लोबल दोनों बाजारों में चावल की कीमत में लगभग 10 फीसदी की तेजी आई है।
नई दिल्ली। हाल ही में सरकार ने देश में गेहूं की आपूर्ति की जमाखोरी को रोकने के लिए, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए और साथ ही गेहूं बाजार को एक स्पष्ट दिशा प्रदान करने के लिए गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था। किसानों के हित के लिए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था सालों से चल रही है। यानी केंद्र सरकार फसलों का एक न्यूनतम मूल्य तय करती है, जिसे एमएसपी कहा जाता है। इसी एमएसपी पर केंद्र सरकार किसानों से फसल खरीदती है ताकि उन्हें नुकसान से बचाया जा सके।
सरकार द्वारा एमएसपी पर गेहूं की खरीद शुरू
अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। खाद्यान्न की खरीद और वितरण करने की प्रमुख एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने अब तक 37,852.88 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 187.86 लाख टन गेहूं खरीदा है। सरकारी बयान के अनुसार रबी विपणन सत्र 2022-23 में केंद्रीय पूल के तहत गेहूं की खरीद सुचारू रूप से चल रही है।
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17.85 लाख किसानों को हुआ फायदा
26 जून 2022 तक सरकार द्वारा 187.86 लाख टन गेहूं खरीदा गया है। इससे लगभग 17.85 लाख किसानों को एमएसपी मूल्य 37,852.88 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। दरअसल गेहूं के प्रोडक्शन में गिरावट और इसके निर्यात में वृद्धि की वजह से मौजूदा रबी विपणन सत्र 2022-23 के लिए गेहूं खरीद लक्ष्य को बदलकर 195 लाख टन कर दिया गया है। यह पहले 444 लाख टन था।
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धान खरीद से 125.36 लाख किसानों को हुआ फायदा
धान की बात करें, तो खरीफ विपणन सत्र 2021-22 में विभिन्न खरीद राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्रीय पूल के तहत धान की खरीद सुचारू रूप से चल रही है। 26 जून 2022 तक देश में 860.82 लाख टन धान की खरीद की गई है। इसमें खरीफ फसल 755.60 लाख टन और रबी फसल 105.22 लाख टन भी शामिल है। इससे 125.36 लाख किसानों को 1,68,720.89 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य का लाभ हुआ है।