- कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से वैश्विक बाजार में उथल-पुथल है।
- यह आर्थिक सुधार के लिए खतरा है।
- यूएस ने रूस से एनर्जी आयात पर प्रतिबंध का ऐलान किया है।
Oil Price: भारत पेट्रोलियम कॉर्प (BPCL) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतें दो हफ्तों के भीतर ही कम होकर 100 डॉलर प्रति बैरल हो सकती है। ऐसे में भारत के नागरिकों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
सिंह ने ईटी को बताया कि, 'रूस के तेल और गैस के निर्यात को तब तक ब्लॉक नहीं किया जाएगा जब तक कि रूस खुद ऐसा करने का फैसला नहीं करता और इसकी संभावना नहीं है।' यूरोप द्वारा रूस के साथ एनर्जी आयात सौदों को रद्द करने की संभावना नहीं है।
जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय सहयोगी रूस से तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहे हैं, उसके बाद सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर 139 डॉलर प्रति बैरल हो गईं। हालांकि रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े उपभोक्ता जर्मनी द्वारा इस तरह के किसी भी कदम को खारिज करने के बाद कीमतों में थोड़ी गिरावट आई। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा रूसी तेल और अन्य ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध लगाने से झटका लग सकता है।
मॉस्को ने दी चेतावनी
मॉस्को ने चेतावनी दी है कि तेल पर प्रतिबंध वैश्विक तेल बाजार के लिए विनाशकारी होगी और कीमतें 300 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़ सकती हैं। 24 फरवरी के बाद से तेल की कीमतें लगभग 30 डॉलर प्रति बैरल बढ़ीं।
90 डॉलर हो सकती है तेल की कीमत: बीपीसीएल के अध्यक्ष
इस बीच बीपीसीएल के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें दो हफ्ते में 100 डॉलर प्रति बैरल पर आ जाएंगी और युद्ध समाप्त होने के बाद यह घटकर 90 डॉलर हो सकता है।
उन्होंने उल्लेख किया कि लंबे समय तक उबलती कीमतें वैश्विक तेल मांग को 2 से 3 फीसदी तक प्रभावित कर सकती हैं, जो प्रति दिन लगभग 2-3 मिलियन बैरल है। रूस भारत का कच्चे तेल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता नहीं है।