नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ दिवालिया समाधान प्रक्रिया (आईआरपी) पर रोक लगा दी है। यह दिवालिया प्रक्रिया एसबीआई द्वारा उसकी दो फर्म को दिए गए 1,200 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली के संबंध में शुरू की गई थी। अंबानी ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा आरकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल) को दिए गए 565 करोड़ रुपए और 635 करोड़ रुपए के ऋण के लिए व्यक्तिगत गारंटी दी थी।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) के तहत आईआरपी पर रोक लगाने के साथ ही अगली सुनवाई तक अंबानी पर अपनी संपत्तियों या कानूनी अधिकारों और हितों के स्थानंतरण, किसी को देने, ऋण लेने या बेचने पर रोक लगा दी।
अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार, भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) और एसबीआई को नोटिस जारी किया और कहा कि छह अक्टूबर से पहले इस पर अपना रुख स्पष्ट करें। इस मामले की अगली सुनवाई छह अक्टूबर को होनी है।
अदालत ने यह भी कहा कि कॉरपोरेट देनदार (कंपनियों) के संबंध में कार्रवाई जारी रहेगी, और इस दौरान आईआरपी द्वारा निजी गारंटी देने वाले (अंबानी) की देनदारियों की जांच भी की जा सकती है। अदालत ने कहा कि हालांकि, आईबीसी के भाग तीन के तहत याचिकाकर्ता (अंबानी) के खिलाफ कार्रवाई रोक दी जाएगी।
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने 20 अगस्त को दिए अपने आदेश में अंबानी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था।
एनसीएलटी ने कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल दोनों कर्ज की किस्तें चुकानें में असफल रहीं। एनसीएलटी ने एक समाधान पेशेवर की नियुक्ति का आदेश दिया और एसबीआई को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा।