- थोक और खुदरा क्षेत्रों में पायलट आधार डिजिटल मुद्रा लागू किया जाएगा।
- आरबीआई भी काफी समय से सीबीडीसी की विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहा है।
- फेमा और आईटी एक्ट में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने गुरुवार को कहा कि आरबीआई अपनी खुद की डिजिटल मुद्रा चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने की रणनीति पर काम कर रहा है और इसे पायलट आधार पर थोक तथा खुदरा क्षेत्रों में पेश करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को लेकर सोच-विचार काफी आगे बढ़ चुका है और दुनिया के कई केंद्रीय बैंक इस संदर्भ में काम कर रहे हैं।
शंकर ने कहा कि सीबीडीसी के तहत उपभोक्ताओं को उन कुछ डिजिटल मुद्राओं में देखी गई ‘अस्थिरता के भयावह स्तर’ से बचाने की आवश्यकता है, जिन्हें कोई सरकारी गारंटी प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी की संभावना तलाशने में लगे हैं और कुछ देश इस प्रकार की धारणा पेश की है। उन्होंने ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि संभवत: सीबीडीसी को लेकर विचार क्रियान्वयन के करीब है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने नीति और कानूनी ढांचे का परीक्षण किया है और देश में सीबीडीसी को डिजिटल मुद्रा के रूप में पेश करने की सिफारिश की है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी काफी समय से सीबीडीसी की विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहा है।
सामान्य तौर पर कुछ देशों ने विशिष्ट उद्देश्य के लिये सीबीडीसी को लागू किया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई अपनी खुद की डिजिटल मुद्रा चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने की रणनीति पर काम कर रहा है और इसे इस रूप से लागू किया जा सकता है जिससे बैंक व्यवस्था और मौद्रिक नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़े। शंकर ने कहा कि थोक और खुदरा क्षेत्रों में पायलट आधार पर इसे निकट भविष्य में लागू किया जा सकता है....।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इसके लिए कानूनी बदलाव की जरूरत होगी क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत मौजूदा प्रावधान मुद्रा को भौतिक रूप से ध्यान में रखते हुए बनाए गए है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में भी संशोधन की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि ये कुछ चीजें हैं जिन्हें हम आंतरिक रूप से देख रहे हैं।
शंकर ने डिजिटल मुद्राओं से जुड़े कुछ जोखिम का भी जिक्र किया। जैसे दबाव की स्थिति में बैंक से पैसे को अचानक से निकाल लेना। उन्होंने कहा कि जोखिम जुड़े हैं लेकिन संभावित लाभों को देखते हुए उनका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।