- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एच-1बी वीजा पर बड़ा फैसला
- अमेरिकी प्रशासन ने साल के अंत तक एच-1बी वीजा पर लगाई रोक
- अप्रवासियों पर रोक लगाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने उठाया कदम
वाशिंगटन : अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल के अंत तक विदेशी नागरिकों के लिए एच-1बी सहित कार्य से जुड़े अस्थाई वीजा पर रोक लगा दी है। इससे भारतीय आईटी पेशेवरों को बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह फैसला देश में प्रवासियों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए किया है। अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'यह नई नीति राष्ट्रपित ट्रंप के गत अप्रैल में नए ग्रीन कार्ड्स पर लगाई गई रोक का विस्तार है। यह नई नीति शुरुआती 60 दिनों से अधिक की होगी और साल के अंत तक जाएगी।'
यह रोक अस्थाई है
मीडिया से बातचीत में ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया 'एच-1बी वीजा पर यह कार्रवाई अस्थाई है लेकिन अमेरिका की वीजा व्यवस्था में सुधार के लिए स्थायी कदम उठाए जा रहे हैं। यह ज्यादा 'मेरिट आधारित' होगी।' समझा जाता है कि ट्रंप जल्दी ही एच-1बी, एच-4, एच-2बी, जे और एल वीजा पर नई पांबदियों से जुड़े निर्देशों पर आधिकारिक आदेश पारित करेंगे। अमेरिकी सरकार का कहना है कि नए वीजा पाबंदियों से साल के अंत तक 525,000 अमेरिकी नौकरियों पर असर पड़ेगा।
भारतीय आईटी पेशेवर होंगे प्रभावित
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी फर्स्ट नीति को आगे बढ़ाने वाले राष्ट्रपति हैं। इनका शुरू से मानना है कि अमेरिकी की नौकरियों एवं रोजगार पर पहला हक अमेरिकी नागरिकों का होना चाहिए। ट्रंप अपनी कई रैलियों में कह चुके हैं कि बाहरी देश के लोग उनके यहां नौकरियां करते हैं जिससे अमेरिका के युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाता। वह कई बार एच-1बी वीजा पर रोक लगाने की बात कह चुके हैं। अमेरिका में भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की संख्या काफी ज्यादा है। अमेरिकी सरकार के इस फैसले से भारतीय काफी हद तक प्रभावित होंगे।
क्या है H-1B वीजा
एच-1बी वीजा अमेरिका की तरफ से अप्रवासियों नागरिकों के लिए जारी किया जाने वाला वीजा है। यह वीजा अमेरिका कंपनियों को आईटी, वित्त, अकाउंटिंग, ऑर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग, साइंस, मेडिसिन में विशेषज्ञ एवं तकनीकी रूप से सक्षम लोगों को अपने यहां भर्ती करने की इजाजत देता है। अमेरिका की तरफ से शुरुआत में यह वीजा तीन साल के लिए दिया जाता है जिसे बाद में तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है। भारत के बड़ी संख्या में आईटी पेशेवर अमेरिकी कंपनियों के लिए काम करते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एच-1बी वीजा के 90 प्रतिशत आवदेक भारतीय होते हैं।