Edible oil/oilseed price today, 04 August 2020 : सस्ते आयातित तेलों के समक्ष ऊंचे दाम पर मांग कमजोर होने से स्थानीय तेल तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों और सरसों दादरी तेल के साथ साथ मूंगफली तेल तिलहन में गिरावट दर्ज हुई। बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों की आगामी फसल आने में आठ महीने की देर है जबकि सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंगफली की फसल अगले महीने से महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात की मंडियों में आने लगेगी। सस्ते आयात के आगे इन तेलों की कहां खपत होगी, यह चिंता किसानों और तेल उद्योग में व्याप्त है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार हर साल एमएसपी बढ़ाती है, उसी के मुताबिक तेल के भाव बढ़ने चाहिये लेकिन असली सवाल इन तेलों को खपाने का खड़ा होगा। आयातित पाम तेल का भाव लगभग 75 रुपए किलो बैठता है जबकि सरसों और मूंगफली जैसे देशी तेलों के भाव क्रमश: 110 रुपए और 120 रुपए बैठते हैं। ऐसी में देशी तेलों की कहां खपत होगी?
उन्होंने देश में तेल मिलावट (ब्लेंडिंग) को बंद किये जाने की मांग की। सूत्रों का कहना है कि लगभग 110 रुपए बिकने वाले सरसों तेल में सरसों तेल 10 से 15 प्रतिशत ही रहता है जबकि बाकी पाम और पामोलीन तेल होता है जो लगभग 75 रुपए किलो है। सूत्रों ने कहा कि 75 रुपए किलो बिकने वाले पाम तेल को ब्लेंडिंग के बाद 110 रुपए किलो के भाव बेचा जा रहा है जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है और राजस्व की भी हानि हो रही है।
तेल-तिलहन के सोमवार को बंद भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपए प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 4,940- 5,010 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपए।
मूंगफली दाना - 4,625- 4,675 रुपए।
वनस्पति घी- 965 - 1,070 रुपए प्रति टिन।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 12,080 रुपए।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,815- 1,865 रुपए प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,300 रुपए प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,615 - 1,755 रुपए प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,725 - 1,845 रुपए प्रति टिन।
तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपए।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,500 रुपए।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,250 रुपए।
सोयाबीन तेल डीगम- 8,400 रुपए।
सीपीओ एक्स-कांडला-7,500 से 7,550 रुपए।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,380 रुपए।
पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 9,000 रुपए।
पामोलीन कांडला- 8,150 रुपए (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव 3,625- 3,650 लूज में 3,360--3,425 रुपए।
मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपए
बाजार सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति में साल्वेंट एक्ट्रेटर्स एसोसियेसन आफ इंडिया (एसईए) और सोयाबीन प्रोसेर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया (सोपा) जैसे तेल उद्योग के संगठनों के अलावा तेल तिलहन उद्योग ने सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के लिये आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की है ताकि आयातित और घरेलू तेलों का बाजार प्रतिस्पर्धी बन सके।