- त्योहारी सीजन में जनता को महंगाई से थोड़ी राहत मिल सकती है।
- SEA के सदस्यों ने खाद्य तेलों की कीमतों में 3,000-5,000 रुपये प्रति टन की कमी करने का फैसला किया।
- भारत खाद्य तेल की अपनी कुल मांग का 60 फीसदी से अधिक हिस्सा आयात करता है।
Edible Oil Price Fall: चाहे खाने का तेल हो या पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel), इनकी कीमतों से जनता परेशान है। देश में वाहन ईंधन का दाम उच्च स्तर पर है। हाल ही में खाद्य तेल (Edible Oils) भी काफी महंगा हो गया था। सरकार तेल की कीमत में कटौती के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हाल ही में खाने के तेल पर आयात शुल्क भी घटाया गया था। अब दिवाली (Diwali 2021) से पहले जनता के लिए थोड़ी राहत है।
खाद्य तेलों के थोक मूल्यों में होगी कमी
त्योहारी सीजन में भारत में खाद्य तेल की कीमतों में और कमी का कोई संकेत नहीं होने के बीच सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने कहा है कि ग्राहकों को राहत देने के लिए उसके सदस्यों ने इस त्योहारी सीजन (Festival Season) के दौरान खाद्य तेलों के थोक मूल्यों में 3 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम की और कमी करने का फैसला किया है।
जनता को राहत देने के लिए, उद्योग निकाय SEA ने कहा कि, 'एसईए के सदस्यों ने दिवाली के मद्देनजर खाद्य तेलों की कीमतों में 3,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति टन की कमी करने का निर्णय लिया है।'
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से 31 अक्टूबर को पाम तेल (Palm Oil) की औसत खुदरा कीमत पहले ही 21.59 फीसदी घटकर 132.98 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई थी। एक अक्टूबर को इसकी कीमत 169.6 रुपये प्रति किलोग्राम थी। इस अवधि में सोया तेल की औसत खुदरा कीमत 155.65 रुपये प्रति किलोग्राम से कम होकर 153 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।
हालांकि, मूंगफली तेल, सरसों तेल (Mustard Oil) और सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil) की औसत खुदरा कीमत 31 अक्टूबर को क्रमश: 181.97 रुपये प्रति किलो, 184.99 रुपये प्रति किलो और 168 रुपये प्रति किलो पर मजबूत बनी रहीं।
देश में अंतरराष्ट्रीय कीमतों से प्रभावित होता है तेल का दाम
मालूम हो कि भारत खाद्य तेलों की कुल मांग का 60 फीसदी से अधिक हिस्सा आयात करता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि होने से देश में कीमतें सीधे प्रभावित होती हैं। इंडोनेशिया, ब्राजील व अन्य देशों में खाद्य तेलों की कम उपलब्धता की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में हुई बढ़ोतरी के अनुरूप घरेलू खाद्य तेल कीमतों में तेजी आई है।
सरकार ने कई उपाय
कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई उपाय किए, जिनमें अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में आयात शुल्क में कमी शामिल है। इससे कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिली। शुल्क में कटौती के बाद 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच पामोलीन, रिफाइंड सोया और रिफाइंड सूरजमुखी की थोक कीमत में 7 से 11 फीसदी की कमी आई।