- होटलों और छोटे खान पान की दुकानों की मांग बढ़ने से पाम तेल कीमतों में सुधार रहा है
- अगले महीने के दौरान विदेशों में पाम और सोयाबीन डीगम जैसे तेलों के उत्पादन में भारी वृद्धि होने की संभावना है
- मंडियों में सरसों, सूरजमुखी, सोयाबीन दाना जैसे तिलहनों के भाव लागत से भी कम हैं जिससे तिलहन उत्पादक किसान, तेल उद्योग और आम उपभोक्ता परेशान हैं
Edibl oil oilseed price today 20 July 2020 : देश में सस्ते खाद्य तेलों का आयात बढ़ने से सोमवार को देशी तेल तिलहनों के भाव (oil oilseed rate) दबाव में बने रहे। दूसरी ओर लॉकडाऊन में ढील के बाद होटलों और छोटे खान पान की दुकानों की मांग बढ़ने से पाम तेल कीमतों में सुधार रहा जबकि ब्लेंडिंग के लिए सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल कीमतों (soybean oil rates) में भी सुधार दर्ज हुआ। तेल उद्योग के कारोबारी सूत्रों ने कहा कि पाम, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते तेलों का आयात बढ़ना जारी रहने से घरेलू तेल उद्योग की हालत खस्ता है। सस्ते आयात की वजह से घरेलू तेल की खपत कम है और घरेलू तेल मिलें अपनी क्षमता के लगभग 25% का ही उपयोग कर पा रही हैं। दूसरी ओर विदेशों में पाम तेल (palm oil) और सोयाबीन डीगम का भारी स्टॉक होने के बावजूद वहां की तेल मिलें पूरे जोर शोर से काम कर रही हैं। पाम तेल के सबसे बड़े उपभोक्ता देश, भारत के अलावा कई अन्य देशों में सस्ते तेलों की आयात मांग बढ़ रही है।
मार्केट सूत्रों ने कहा कि अगले महीने के दौरान विदेशों में पाम और सोयाबीन डीगम जैसे तेलों के उत्पादन में भारी वृद्धि होने की संभावना है और वहां इन तेलों के भारी मात्रा में स्टॉक पहले से जमा हैं। देश में भी सोयाबीन का उत्पादन काफी बढ़ने की संभावना है। यहां नाफेड और किसानों के पास सरसों और मूंगफली के काफी स्टॉक पहले के बचे हैं और नये फसल के आने के बाद इन तेलों को खपाने की दिक्कत और बढ़ने ही वाली है।
मार्केट सूत्रों ने कहा कि ये अजीब विरोधाभासी स्थिति है कि विदेशों में तेलों की बहुतायत होने के बावजूद वहां की तेल मिलें पूरी क्षमता का उपयोग कर तेल उत्पादन बढ़ा रही हैं और दूसरी ओर अपनी जरूरत के 70% आयात पर निर्भर रहने वाले देश भारत में, तिलहन उपलब्ध होने के बावजूद तेल मिलें पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रही हैं। ऐसी स्थिति तक है जबकि घरेलू मांग, हल्के देशी तेलों की है। मांग होने के बावजूद वायदा और हाजिर मंडियों में सरसों, सूरजमुखी, सोयाबीन दाना जैसे तिलहनों के भाव लागत से भी कम हैं जिससे तिलहन उत्पादक किसान, तेल उद्योग और आम उपभोक्ता परेशान हैं।
सोमवार को तेल तिलहन के बंद भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपए प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन : 4,665- 4,715 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपए।
मूंगफली दाना : 4,740 - 4,790 रुपए।
वनस्पति घी : 965 - 1,070 रुपए प्रति टिन।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) : 12,480 रुपए।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल : 1,875 - 1,925 रुपए प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी : 9,700 रुपए प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी : 1,540 - 1,680 रुपए प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी : 1,640 - 1,760 रुपए प्रति टिन।
तिल मिल डिलिवरी तेल : 11,000 - 15,000 रुपए।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली : 9,200 रुपए।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर : 8,980 रुपए।
सोयाबीन तेल डीगम : 8,050 रुपए।
सीपीओ एक्स-कांडला : 7,350 रुपए।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) : 7,800 रुपए।
पामोलीन आरबीडी दिल्ली : 8,700 रुपए।
पामोलीन कांडला : 7,950 रुपए (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव : 3,665- 3,690 लूज में 3,400--3,465 रुपए।
मक्का खल (सरिस्का) : 3,500 रुपए
मार्केट सूत्रों ने कहा कि पिछले साल 20 प्रतिशत कम पैदावार होने के बावजूद किसानों के पास सोयाबीन का 20 से 25% ऊपज बची हुई। इसके अलावा गुजरात में किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास मूंगफली का भी काफी स्टॉक बचा हुआ है। किसानों और नाफेड के पास सरसों का लाखों टन स्टॉक भी बचा हुआ है। मजबूरन इन किसानों को अपनी फसल औने पौने दाम पर बेचने को विवश होना पड़ रहा है। दूसरी ओर ‘ब्लेंडिंग’ के लिए सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार रहा। जबकि सस्ते में बिक्री से बचने के लिए मंडी में कम फसल लाने से सरसों दाना (तिलहन) और सरसों तेल कीमतों के भाव पूर्ववत बने रहे। मांग कमजोर होने से मूंगफली तेल कीमतें भी पूर्ववत रहीं।