- नई पेंशन योजना पर प्रस्ताव 11 और 12 मार्च को गुवाहाटी में EPFO के निर्णय लेने वाले निकाय सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT) की बैठक में आ सकता है।
- पेंशन योग्य वेतन बढ़ाने से संगठित क्षेत्र के 50 लाख और कर्मचारी EPS-95 के दायरे में आ सकते हैं।
- इसके अलावा अगले महीने 2021-22 के लिए पीएफ ब्याज दर पर भी फैसला हो सकता है।
New Pension Scheme: लोग सालों पहले ही रिटायरमेंट की प्लानिंग (Retirement Planning) करना शुरू कर देते हैं। आज सरकार की कई योजनाएं उपलब्ध है, जिसके तहत आप रिटायरमेंट के बाद पेंशन (Pension Plan) का लाभ उठा सकते हैं। अगर आप भी अपने भविष्य को सुरक्षित करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके काम की है। पुरानी पेंशन योजना को लेकर काफी चर्चा होती रहती है। ऐसे में अब सरकार नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रही है।
इन कर्मचारियों के लिए आ सकती है नई पेंशन योजना
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) संगठित क्षेत्र के 15,000 रुपये से अधिक का मूल वेतन पाने वाले तथा कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (EPS-95) के तहत अनिवार्य रूप से नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रहा है।
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नई पेंशन योजना पर किया जा रहा है विचार
वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये तक है, अनिवार्य रूप से ईपीएस-95 के तहत आते हैं। एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा कि, 'ईपीएफओ के सदस्यों के बीच ऊंचे योगदान पर अधिक पेंशन की मांग की गई है। इस प्रकार उन लोगों के लिए एक नया पेंशन उत्पाद या योजना लाने के लिए सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, जिनका मासिक मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक है।'
सूत्र ने बताया कि ऐसे ईपीएफओ अंशधारक हैं जिन्हें 15,000 रुपये से अधिक का मासिक मूल वेतन मिल रहा है, लेकिन वे ईपीएस-95 के तहत 8.33 फीसदी की कम दर से ही योगदान कर पाते हैं। इस तरह उन्हें कम पेंशन मिलती है।
2014 में संशोधित हुई थी मासिक पेंशन योग्य मूल वेतन
ईपीएफओ ने 2014 में मासिक पेंशन योग्य मूल वेतन को 15,000 रुपये तक सीमित करने के लिए योजना में संशोधन किया था। 15,000 रुपये की सीमा केवल सेवा में शामिल होने के समय लागू होती है। संगठित क्षेत्र में वेतन संशोधन और मूल्यवृद्धि की वजह से इसे एक सितंबर, 2014 से 6,500 रुपये से ऊपर संशोधित किया गया था। बाद में मासिक मूल वेतन की सीमा को बढ़ाकर 25,000 रुपये करने की मांग हुई और उसपर विचार-विमर्श किया गया, लेकिन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पाई।
(इनपुट एजेंसी- भाषा)