नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की आज (08 सितंबर) बैठक हो रही है। इस बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर वर्ष 2019-20 के लिए 8.5% ब्याज दिए जाने के फैसले की मंजूरी का मामला उठाया जा सकता है। हालांकि बैठक की कार्यसूची में यह मुद्दा नहीं है। इसस पहले वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ खाताधारकों को अपने जमा धन पर 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज मिला था। ईपीएफ की यह प्रस्तावित दर 7 साल की न्यूनतम दर होगी। न्यास के एक सदस्य ने कहा कि हम ब्याज दर के अनुमोदन में विलम्ब का मुद्दा इस बैठक में उठाएंगे। केंद्रीय न्यासी मंडल इस बारे में पैसला मार्च में ही कर चुका है।
EPFO के केंद्रीय न्यासी मंडल ने 5 मार्च की बैठक में ईपीएफ पर 2019-20 के लिए ब्याज दर 8.50% रखने की सिफारिश की थी जो पहले से 0.15% अंक कम है। न्यासी मंडल के अध्यक्ष श्रम मंत्री संतोष गंगवार है। केंद्रीय न्यासी बोर्ड के इस फैसले को वित्त मंत्रालय की सहमति के लिए भेज दिया गया था पर अभी तक वित्त मंत्रालय से उसका अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है। वित्त मंत्रालय की सहमति से ही ईपीएफ पर वार्षिक ब्याज दर में संशोधन का फैसला लागू होता है।
उधर EPFO ने चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 05 महीने के दौरान कुल मिलाकर 35,445 करोड़ रुपए के 94.41 लाख भविष्य निधि दावों का निपटारा किया है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अगस्त अवधि के दौरान EPFO ने पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 32% अधिक दावों का निपटारा किया है। वहीं इस दौरान वितरित की गई राशि में भी करीब 13% की वृद्धि हुई है।
श्रम मंत्रालय के मुताबिक कोविड- 19 महामारी के कारण लागू प्रतिबंधों के बावजूद EPFO 94.41 लाख दावों का निपटारा करने में सफल रहा है। इन दावों के तहत EPFO ने अपने सदस्यों को अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान 35,445 करोड़ रुपए की राशि वितरित की।
कोरोना वायरस संकट के दौरान कोष से जुड़े सदस्यों की कैश जरूरतों को पूरा करने के लिए EPFO ने कोविड- 19 अग्रिम और बीमारी संबंधी दावों को निपटाने की प्रक्रिया काफी तेज की है। इन दोनों श्रेणियों के तहत उसने दावों का निपटान स्वत: मंजूरी प्रणाली के जरिये तेजी से करने की शुरुआत की।
इन दोनों कैटेगरी कोविड- 19 अग्रिम और बीमारी सबंधी दावे- में स्वत: मंजूरी की इस प्रक्रिया में दावों के निपटान में मात्र तीन दिन लगते हैं। जबकि सांविधिक तौर पर दावों के निपटान के लिए 20 दिन का समय होता है।
अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान जितने भी भविष्य निधि दावों का निपटारा किया गया उनमें से 55% दावे कोविड- 19 अग्रिम लेने वाले थे जबकि 33% दावे बीमारी से जुड़े दावों के थे। इनमें ज्यादातर आवेदनकर्ता 15,000 रुपए से कम की वेतन कैटेगरी वाले थे।
संकट की इस स्थिति में भविष्य निधि फंड से समय पर कैश मिलने से कम कमाई वाले कर्मचारी लोन जाल में फंसने से बच गए और गरीबों को सामाजिक सुरक्षा समर्थन प्राप्त हुआ।