- भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP)में कृषि क्षेत्र की 15 फीसदी हिस्सेदारी है
- खराब मानसून देश की 58 फीसदी आबादी के रोजगार और उनके जीवनयापन पर सीधा असर डालता है।
- इस समय रिटेल महंगाई दर 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
Monsoon Update : बढ़ती महंगाई के बीच अच्छी खबर है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल सामान्य मानसून रहने की संभावना जताई है। उसने जून से सितंबर के दौरान 103 फीसदी बारिश की उम्मीद जताई है। मानसून सामान्य होने का सबसे बड़ा फायदा कृषि क्षेत्र को मिलेगा। और उसका असर महंगाई पर दिखेगा। ऐसे में अगर मौसम विज्ञान विभाग का अनुमान सही रहता है तो उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पॉजीटिव असर पड़ेगा।
कोविड संकट में खाद्यान्न संकट से बचाया
पिछले वर्षों में मानसून की स्थिति को देखा जाय तो,साल 2019 से लगातार मानसून सामान्य रहा है। लेकिन 2020 और 2021 में कोविड की वजह से मानसून की अच्छी स्थिति का फायदा अर्थव्यवस्था को नहीं मिल पाया। क्योंकि लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियों की वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप रही। लेकिन ये सामान्य मानसून का ही फायदा था कि देश में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। और 2019-20 में खाद्यान्न उत्पादन 29 करोड़ टन तो 2020-21 में यह 30 करोड़ टन को पार कर गया। रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से देश में कोविड दौर में भी खाद्यान्न संकट नहीं खड़ा हो पाया। और केंद्र और राज्य सरकारों के लिए गरीब तबके को मुफ्त राशन उपलब्ध कराना संभव हो सका।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्यों जरूरी है सामान्य मानसून
असल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP)में कृषि क्षेत्र की 15 फीसदी हिस्सेदारी है। और 58 फीसदी से ज्यादा लोगों का रोजगार और जीवनयापन कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। ऐसे में खराब मानसून देश की 58 फीसदी आबादी के रोजगार और उनके जीवनयापन पर सीधा असर डालता है। अगर मानसून अच्छा रहता है, तो उसका सीधा असर खाद्यान्न उत्पादन पर होता है। और सामान्य मानसून में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ने से किसान और उनके परिवार की न केवल आय बढ़ती है, बल्कि उसका सीधा असर महंगाई पर भी पड़ता है।
घटती है महंगाई
असल में खाद्यान्न और अन्य फसलों का उत्पादन बढ़ने का सीधा असर महंगाई पर होता है। क्योंकि अगर फसल उत्पादन बढ़ेगा तो सप्लाई भी बढ़ेगी, जिसका असर सप्लाई और डिमांड के बीच संतुलन के रूप में दिखेगा। आरबीआई द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अच्छे मानसून का खाद्यान्न महंगाई को कम करने के रूप में दिखेगा। हालांकि उसने भौगोलिक अनिश्चितताओं को लेकर भी चेताया है।
इस समय रिटेल महंगाई दर 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल में यह 7.79 फीसदी के स्तर पर है। जबकि थोक महंगाई दर पर भी 15 फीसदी के आंकड़े को पार कर गई। वह अप्रैल में 15.08 फीसदी पर है। ऐसे में मानसून सामान्य रहेगा तो इसमें कमी आएगी।
और क्या होंगे फायदे
- सामान्य मानसून से किसानों की इनकम बढ़ेगी और उनके हाथ में ज्यादा पैसा आएगा।
- किसानों की इनकम बढ़ने का सीधा फायदा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उछाल के रूप में दिखेगा।
- एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों की मांग बढ़ेगी
- दोपहिया वाहन, ट्रैक्टर, कार की बिक्री बढ़ेगी
- कृषि उपकरण, उर्वरक, कीटनाशक की मांग बढ़ेगी
- खाद्यान्न तेल का उत्पादन बढ़ने से आयात बिल घटेगा
केवल खाने-पीने नहीं आपकी लाइफ स्टाइल पर भी महंगाई का असर, रेड निशान ऐसे काट रहा है जेब