- बहुत दिन दूर नहीं है जब लोग ऑफिस जाने के लिए ड्रोन टैक्सी का इस्तेमाल कर सकेंगे।
- ई-कॉमर्स कंपनियां ड्रोन के जरिए आसानी से काफी वजन वाले सामान की डिलिवरी कर सकेंगी।
- कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल की संभावना है।
Bharat Drone Mahotsav 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जब प्रगित मैदान में ड्रोन महोत्सव का उद्घाटन कर रहे थे, तो उन्होंने केदारनाथ और लैंड रिकॉर्ड, खेती के बारे में चर्चा की। उनकी बातों से साफ था कि सरकार ड्रोन के जरिए किस तरह पारदर्शिता बढ़ाना चाहती है। और साथ ही गरीब तबके को ड्रोन टेक्नोलॉजी का फायदा पहुंचाना चाहती है। साफ है कि मोदी सरकार ड्रोन टेक्नोलॉजी पर दांव खेलने की तैयारी में हैं। और इसके लिए वह स्टार्टअप को खास तौर से आगे लाना चाहती है। जिससे कि न केवल इस क्षेत्र में ज्यादा से इन्नोवेशन हो और ग्रामीण स्तर तक रोजगार के नए अवसर खड़े हो सकें।
प्रधानमंत्री ने क्या कहा
उन्होंने कहा कि जब केदारनाथ धाम में निर्माण कार्य चल रहा था तो वह ड्रोन के जरिए रियल टाइम में कार्य की प्रगति की समीक्षा कर लेते थे। और उन्हें वहां की सही स्थिति का अंदाजा लग जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह पूरी योजना के साथ वहां जाकर समीक्षा करते थे तो शायद उतनी हकीकत का उन्हें अंदाजा नहीं लगता। लेकिन ड्रोन से बिना कुछ बताए आसानी से समीक्षा की जा सकी।
इसी तरह उन्होंने लैंड रिकॉर्ड को लेकर ड्रोन के इस्तेमाल पर बात की, उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों का पहली बार डिजिटल रिकॉर्ड बन रहा है। और इसकी ड्रोन टेक्नोलॉजी का ही फायदा है कि बिना किसी भेदभाव को यह काम हो पा रहा है। और अब तक 65 लाख प्रॉपर्टी कार्ड दिए जा चुके हैं। इसी तरह उन्होंने फसलों के उत्पादन में भी ड्रोन के फायदे का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में कृषि क्षेत्र में ड्रोन टेक्नोलॉजी अहम भूमिका निभाने वाली है।
3 साल में 5 लाख नौकरियां
असल में ड्रोन इंडस्ट्री की भारत में जिस तरह ग्रोथ की संभावना है, उसे देखते हुए सरकार को लगता है कि अगले 3 साल में इंडस्ट्री 30 हजार करोड़ रुपये की हो जाएगी और इसी अवधि में इंडस्ट्री से 5 लाख लोगों की नौकरियां मिलने की संभावना है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2021 में लाए गए नियमों की वजह से 2021-22 में ही भारती ग्लोबल इंडस्ट्री में 4 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी पहुंच चुकी है। भारत की क्षमता का अंदाजा गणतंत्र दिवस पर बीटिंग रिट्रीट समारोह में ड्रोन के प्रदर्शन से लग जाता है। जब 1000 ड्रोन ने मिलकर मेक इन इंडिया के लोगो में बने शेर और महात्मा गांधी की तस्वीर को पेश किया था। करीब एक साथ 1000 ड्रोन के इस्तेमाल की क्षमता केवल अमेरिका, चीन और रूस के पास ही है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश को ड्रोन सेक्टर में ग्लोबल हब बनाया जाय। इसके अलावा सरकार ड्रोन इंडस्ट्री के लिए PLI स्कीम की भी मंजूरी दे दी है। जिसके जरिए इंडस्ट्री में बड़े निवेश की संभावना है।
ड्रोन टैक्सी से लेकर मिलेंगी ये सुविधाएं
सरकार के अनुसार भारत में 2030 तक ड्रोन हब बनने की क्षमता है और उसी विजन को देखते हुए, अगस्त 2021 में ड्रोन संबंधी नियमों में 30 प्रमुख बदलाव किए गए थे। जिसके बाद से भारत में भारत में ड्रोन टैक्सी (Drone Taxi) का रास्ता खुल गया । इसके तहत देश में 500 किलोग्राम तक वजन ले जाने वाले ड्रोन को मंजूरी मिल गई। इसी का परिणाम है कि ड्रोन महोत्सव में ड्रोन टैक्सी का प्रोटोटाइप वर्जन भी दिख सकता है। यानी बहुत दिन दूर नहीं है जब लोग ऑफिस जाने के लिए ड्रोन टैक्सी का इस्तेमाल कर सकेंगे।
- इसी तरह ई-कॉमर्स कंपनियां ड्रोन के जरिए आसानी से काफी वजन वाले सामान की डिलिवरी कर सकेंगी। इसके लिए स्पेशल कॉर्गो कॉरिडोर भी बनाए जाएंगे।
- कृषि क्षेत्र में कीटनशाकों के छिड़काव के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल हो सकेगा
- इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में ड्रोन के जरिए निगरानी और दूसरी अहम जरूरतें पूरी की जा सकेगी