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निर्यात, आयात में लगातार चौथे महीने गिरावट, लेकिन 18 साल में पहली बार व्यापार सरप्लस

Updated Jul 16, 2020 | 11:34 IST

भारत से अप्रैल-जून 2020-21 में  101.02 अरब अमेरिकी डॉलर का समग्र निर्यात होने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 25.92  (-) प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि को दर्शाता है। 

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निर्यात, आयात में लगातार चौथे महीने गिरावट
मुख्य बातें
  • पेट्रोलियम, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और रत्न एवं आभूषण के निर्यात में गिरावट से कुल निर्यात कम हुआ है
  • पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान निर्यात 36.71 प्रतिशत घटकर 51.32 अरब डॉलर रहा
  • आयात 52.43 प्रतिशत घटकर 60.44 अरब डॉलर रहा

नई दिल्ली : देश के निर्यात में जून महीने में 12.51 प्रतिशत गिरावट आई। यह लगातार चौथा महीना है जब निर्यात घटा है। मुख्य रूप से पेट्रोलियम, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और रत्न एवं आभूषण के निर्यात में गिरावट से कुल निर्यात कम हुआ है। हालांकि आयात में 47.59% की गिरावट के कारण 18 साल में पहली बार व्यापार अधिशेष की स्थिति आई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान निर्यात 36.71 प्रतिशत घटकर 51.32 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 52.43 प्रतिशत घटकर 60.44 अरब डॉलर रहा। इससे वित्त वर्ष के पहले तीन महीने में व्यापार घाटा 9.12 अरब डॉलर रहा। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तेल आयात 62.47 प्रतिशत घटकर 13.08 अरब डॉलर रहा। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 34.85 अरब डॉलर का था। वित्त वर्ष 2019-20 में निर्यात 314.31 अरब डॉलर रहा था।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के बुधवार को जारी आंकड़े के अनुसार कोविड-19 के कारण कमजोर वैश्विक मांग से जून में निर्यात 12.41 प्रतिशत घटकर 21.91 अरब डॉलर रहा। हालांकि जून में निर्यात का आंकड़ा सुधरा है। क्योंकि अप्रैल में इसमें 60.28 प्रतिशत और मई में 36.47 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। आंकड़ों के अनुसार आयात भी लगातार चौथे महीने घटा। आलोच्य माह में यह 47.59 प्रतिशत घटकर 21.11 अरब डॉलर रहा। इसके कारण आलोच्य महीने में 0.79 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष की स्थिति रही। पिछले 18 साल में यह पहला मौका है जब व्यापार अधिशेष की स्थिति उत्पन्न हुई है। इससे पहले, जनवरी, 2002 में 10 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष हुआ था।(डेटा, सौजन्य-पीआईबी)

तेल आयात जून महीने में 55.29 प्रतिशत घटकर 4.93 अरब डॉलर रहा। सोना आयात भी आलोच्य महीने में 77.42 प्रतिशत घटकर 60.87 करोड़ डॉलर रहा। निर्यात वाले जिन क्षेत्रों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है, उसमें रत्न एवं आभूषण (-50 प्रतिशत), चमड़ा (-40.5 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (-31.65 प्रतिशत), इंजीनियरिंग सामान (-7.5 प्रतिशत), सभी प्रकार के कपड़ों सिले-सिलाये परिधान (-34.84 प्रतिशत), काजू (-27 प्रतिशत) शामिल हैं। आयात खंड में जिन क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है, उसमें सोना, चांदी, परिवहन उपकरण, कोयला, उर्वरक, मशीनरी और मशीन उपकरण शामिल हैं। हालांकि तिलहन, कॉफी, चावल, तंबाकू, मसाला, औषधि और रसायन के निर्यात में जून में वृद्धि दर्ज की गयी।

आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में भारतीय तिलहन एवं उपज निर्यात संवर्धन परिषद (आईओपीईपीसी) के चेयरमैन खुशवंत जैन ने कहा कि अच्छा उत्पादन होने और निर्यात बढ़ाने के सरकार के उपायों से तिलहन निर्यात बढ़ा है। जैन ने कहा कि आने वाले महीनों में भी वृद्धि बने रहने की उम्मीद है। वाणिज्य मंत्रालय हमारे सभी मसलों का समाधान कर रहा है।

भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद (टीपीसीआई) के चेयरमैन मोहित सिंगला ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे सुधर रही हैं। कई कामगार अब कामों खासकर विनिर्माण क्षेत्रों में लौटने लगे हैं। इससे विनिर्माण क्षेत्र में गतिविधियां सामान्य हो रही है और उद्योग वैश्विक मांग को पूरा करने के लिये तैयार हो रहा है।

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून में वस्तु निर्यात सुधरा है लेकिन आयात लगातार कमजोर बना हुआ है जिससे व्यापार अधिशेष की स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि आयात में देरी से सुधार को देखते हुए हमारा अनुमान है कि वस्तु व्यापार घाटा 2020-21 की पहली तिमाही में कम होकर 10 से 12 अरब डॉलर रहेगा जो 2019-20 की पहली तिमाही में करीब 46 अरब डॉलर था। हमारा अनुमान है कि चालू खाते के मोर्चे पर 2020-21 की पहली तिमाही में करीब 14 से 16 अरब डॉलर का अधिशेष होगा।

निर्यात संगठनों का महासंघ (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि जून महीने का आंकड़ा बताता है कि व्यापार अधिशेष 0.79 अरब डॉलर रहा। इससे पहले जनवरी 2002 में ऐसी स्थति हुई थी। उन्होंने कहा कि हालांकि हमें आयात का विश्लेषण करना होगा। आयात में इतनी बड़ी गिरावट से औद्योगिक पुनरूद्धार आने वाले महीनों में प्रभावित हो सकता है। मेरा विचार है कि निर्यात को गति देने के लिये विभिन्न देशों के एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) पर ध्यान देना चाहिए।

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