- नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी देश में जारी किसान आंदोलन पर एसोचैम ने चिंता जताई है
- उद्योग संस्था का कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को रोजाना 3,500 करोड़ का नुकसान हो रहा है
- एसोचैम ने सरकार और किसान संगठनों से इस विवाद का समाधान निकालने के लिए कहा है
नई दिल्ली : उद्योग संस्था एसोचैम ने सरकार और किसान संगठनों से नए कृषि कानूनों पर बने गतिरोध खत्म करने की अपील की है। एसोचैम ने मंगलवार को कहा कि पिछले कई सप्ताह से जारी प्रदर्शन की वजह से देश में एक-दूसरे से जुड़ी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंच रहा है। उद्योग संस्था का कहना है कि उसने एक मोटा-मोटी आंकलन किया है। प्रदर्शनों की वजह से आवागमन बाधित हुआ है और इससे रोजाना अर्थव्यवस्था को 3000 करोड़ रुपए से 3500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
एसोचैम ने जताई चिंता
एसोचैम ने आगे कहा है कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि एवं बागवानी पर आधारित है। फिर भी इन राज्यों में खाद्य प्रसंस्रण, कॉटन टेक्सटाइल्स और आईटी जैसे क्षेत्र तेजी से विकास कर रहे हैं। पर्यटन, कारोबार, परिवहन, सेवा इन प्रदेशों की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती दी है।
प्रदर्शन से सप्लाई चेन प्रभावित हो रही
उद्योग संस्था के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी का कहना है, 'पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का आकार करीब 18 लाख करोड़ रुपए का है। लेकिन किसानों के आंदोलन की वजह से सड़कें, टोल प्लाजा और रेल मार्ग बाधित हो रहे हैं। इसकी वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ रही हैं।'
फल एवं सब्जियों के दाम बढ़े
हीरानंदानी ने एक बयान में कहा, 'निर्यात क्षेत्र से जुड़े टेक्सटाइल्स, ऑटो पार्ट्स, साइकिल, स्पोर्ट्स सामग्री की आपूर्ति यदि क्रिसमस से पहले नहीं हो पाएगी तो वैश्विक खरीदारों के बीच देश की खराब छवि बनेगी।' एसोचैम के महासचिव दीपक सूद का ने कहा कि सप्लाई चेन में बाधा पड़ने से देश में फल एवं सब्जियों के दाम बढ़ने लगे हैं।
उन्होंने कहा, 'सप्लाई चेन प्रभावित होने से उद्योग, किसान और उपभोक्ताओं को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। विडंबना है कि यह सब कुछ ऐसे समय हो रहा है जब कोरोना के प्रकोप से अर्थव्यवस्था अनलॉक होनी शुरू हुई है।'