नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने गुरुवार को भारत के लिए नकारात्मक परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी’ रेटिंग बरकरार रखी। उसने यह भी कहा कि कोरोना वायरस मामलों में तेजी से आर्थिक हालात सुधरने में देरी हो सकती है लेकिन इससे अर्थव्यवस्था के विकास का पहिया पटरी से उतरेगा नहीं। यह रेटिंग रखते हुए एजेंसी का कहना है कि मध्यावधि में भारत की वृद्धि मजबूत रहने की संभावना है और अपने अच्छे खासे विदेशी मुद्रा भंडार की बदौत देश में बाहरी क्षटके सहने की शक्ति है पर सरकार पर कर्ज का बोझ ऊंचा है, बैंकों की हालत ठीक नहीं है तथा कुछ बुनियादी समस्याएं बरकार हैं।
फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 12.8 प्रतिशत और 2022-23 में नरम होकर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। वित्त वर्ष 2020-21 में वृद्धि दर में 7.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है। फिच ने पिछले साल जून में भारत के लिये परिदृश्य को संशोधित कर ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया था। इसके लिए उसने कोरोना वायरस महामारी के कारण देश के वृद्धि परिदृश्य के कमजोर होने तथा उच्च सार्वजनिक कर्ज बोझ से संबद्ध चुनौतियों का हवाला दिया था।
भारत को ‘बीबीबी-’ रेटिंग अगस्त 2006 से मिली हुई है। हालांकि परिदृश्य स्थिर और नकारात्मक के बीच घूमता रहा है। फिच ने गुरुवार को ‘बीबीबी-’ रेटिंग देते हुए नकारात्मक परिदृश्य को बरकरार रखा। यह सरकार के कर्ज को लेकर लंबे समय तक अनिश्चिता बने रहने की स्थिति दर्शाता है।
रेटिंग एजेंसी ने बयान में कहा कि भारत की रेटिंग का यह स्तर देश के मध्यम अवधि में सशक्त वृद्धि की संभावनाओं और ठोस विदेशी मुद्रा भंडार से बाह्य झटकों को सहने की शिक्त तथा उच्च सार्वजनिक कर्ज, कमजोर वित्तीय क्षेत्र एवं कुछ संरचनात्मक कारको की कमी के बीच संतुलित है।
इसमें कहा गया है कि नकारात्मक परिदृश्य, महामारी के झटकों के कारण सीमित राजकोषीय गुंजाइश की पिछली स्थिति से भारत के सार्वजनिक वित्त की स्थिति में गिरावट के मद्देनजर कर्ज वृद्धि को लेकर लंबे समय तक अनिश्चिता बने रहने की स्थिति को प्रतिबिंबित करता है।
राजकोषीय घाटे में वृद्धि तथा सरकार की उसमें धीरे-धीरे कमी लाने की योजना भारत के ऊपर कर्ज अनुपात को स्थिर करने और उसे नीचे लाने को लेकर मध्यम अवधि में जीडीपी वृद्धि के उच्च स्तर पर लाने की बड़ी जिम्मेदारी निर्धारित करती है।
फिच ने कहा कि हालांकि हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी से 2021-22 के परिदृश्य के कमजोर होने का जोखिम है। संक्रमण के मामलों में मौजूदा तेजी से पुनरूद्धार में देरी हो सकती है लेकिन अर्थव्यवस्था के विकास का पहिया पटरी से उतरने की आशंका नहीं है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में मजबूत पुनरूद्धार तथा मौजूदा नीतिगत समर्थन से हमें विकास का पहिया घूमते रहने की उम्मीद है।
उसने कहा कि महामारी संबंधित पाबंदियां स्थानीय स्तर पर सीमित रहेंगी और यह 2020 में राष्ट्रीय स्तर पर लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से कम कड़ी होगी। साथ ही टीकाकरण अभियान में तेजी लायी जा रही है।