- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया था
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 मई को पहले चरण में छह लाख करोड़ रुपए के पैकेज के बारे में बताया था
- पहले दिन उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को मजबूती देने के लिए पैकेज के बारे में विस्तार से बताया था
नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से देश अर्थव्यवस्था डगमगा गई है। उसको फिर से पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने 13 मई को पहले चरण में छह लाख करोड़ रुपए के पैकेज के बारे में बताया। पहले दिन उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को मजबूती देने के लिए पैकेज को विस्तार से बताया। वित्त मंत्री आज दूसरे चरण में विस्तार से बताईं, किस सेक्टर को क्या दिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज की कॉन्फेंस प्रवासी श्रमिकों, सड़क के किनारे स्टॉल या रेहड़ी लगाने वालों, छोटे व्यापारियों, स्वरोजगार वालों और छोटे किसानों पर केंद्रित है। वित्त मंत्री ने राहत पैकेज की दूसरी किस्त जारी करते हुए कहा, तीन करोड़ छोटे किसान पहले ही कम ब्याज दर पर 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज ले चुके हैं।
FM Sitharaman Annoucement, 2nd Phase
सब्सिडी स्कीम 31 मार्च 2021 तक बढ़ा
वित्त मंत्री ने कहा कि मिडल इनकम ग्रुप जिनकी आय 6 लाख-18 लाख प्रति वर्ष है उनके लिए 70000 करोड़ का बढ़ावा देने वाली योजना लाए हैं जिससे उन्हें हाउसिंग सेक्टर में लाभ मिलेगा। CLSS क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम जो 31मार्च 2020 तक बढ़ाई गई थी जिसका लाभ 3 लाख 30 हजार के लगभग मध्यम परिवारों को हुआ था, इसे 31मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है। इससे लगभग ढाई लाख से ज्यादा परिवारों को लाभ मिलेगा। इसमें कुल 70000 करोड़ की इन्वेस्टमेंट आएगी।
छोटे और सीमांत किसानों के लिए 30000 करोड़ रुपए
3 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को लाभ देने के लिए 30000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सुविधा लेकर आए हैं। ये नाबाड के अलावा दी जाने वाले 30000करोड़ की राशि है। ये राशि स्टेट, जिला और ग्रामीण कॉपरेटिव बैकों के माध्यम से राज्यों को दी जाएगी। ढाई करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट के माध्यम से 2 लाख करोड़ कनसेशनल क्रेडिट की सुविधा दी जाएगी।
किफायती दर पर रेंटल स्कीम
प्रवासी मजदूरों के लिए किफायती दर पर रेंटल स्कीम लायी जाएगी। गरीबों को कम किराए में रहने के लिए घर मिलेगा। लॉकडाउन से प्रभावित 50 लाख फेरी वालों के लिए 5,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वालों को मिलेगा लोन, 10,000 रुपए तक का कर्ज ले सकेंगे।
MUDRA शिशु लोन पर 2% राहत
वित्त मंत्री ने कहा कि जो MUDRA शिशु लोन कटैगरी में लोग आते हैं उनके लिए 1500 करोड़ रुपए, ब्याज में 2% राहत देने की योजना सरकार लाई है। एक लाख 62 करोड़ रुपए अब तक इस योजना के अंतर्गत दिए गए हैं। इस योजना के माध्यम 3 करोड़ लोगों को 1500 करोड़ के करीब लाभ मिलने वाला है।
वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना
'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना का ऐलान, यह अगस्त 2020 से लागू होगा। यह हर राज्य में मान्य होगा, देश के किसी भी राशन डिपो में प्रवासी मजदूर 5 किलो अनाज ले सकते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि 'वन नेशन वन राशन कार्ड' सभी प्रवासी मजदूरों के लिए लाने वाले हैं। इसकी मदद से आप राज्य के किसी भी उचित मुल्य की दुकान से अपना राशन खरीद सकते हैं। 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के राशन के लिए 3500 करोड़ का प्रावधान सरकार करने जा रही है। प्रति व्यक्ति 2 महीने मुफ्त 5-5 किलो चावल और गेहूं और 1 किलो चना प्रत्येक परिवार को दिया जाएगा। 23 राज्यों में 67 करोड़ लाभार्थी 83% PDS की जनसंख्या अब तक इसमें कवर हो चुकी है और मार्च 2021 तक हम इसे 100% कवर कर लेंगे।
प्रवासी मजदूर के लिए पैकेज
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूर और शहरी गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए आपदा राहत फंड के माध्यम से 11000 करोड़ से अधिक की राशि राज्यों को उपलब्ध करवायी गई। प्रवासी मजदूरों की मदद मनरेगा के माध्यम से कैसे की जाए उसके लिए हम योजना लेकर आए हैं। 13 मई तक 14.62 करोड़ दिन जनरेट किए जा चुके हैं। इस पर लगभग 10,000 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुके हैं।' मजदूरों का कल्याण हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है। न्यूनतम मजदूरी वर्तमान में केवल 30% श्रमिकों पर लागू होती है। हम इसे सार्वभौमिक बनाना चाहते हैं।' देश भर में एक विशेष मुहिम चलाई जा रही है कि जो प्रवासी मजदूर जहां हैं अगर वो चाहें तो वहां पर भी अपने आप को रजिस्टर कराकर वहां काम ले सकते हैं। यही नहीं स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए तीन बार का भोजन शेल्टर होम्स में लोगों को उपलब्ध करवाया गया। 12000 स्वंय सहायता समूहों ने 3 करोड़ मास्क और 1,20,000 लीटर सेनिटाइजर का उत्पादन किया है।
शहरी गरीबों के लए 11,000 करोड़ रुपए की मदद
वित्त मंत्री ने कहा कि शहरी गरीबों को 11,000 करोड़ रुपए की मदद की गई है, एसडीआरएफ के जरिए मदद दी जा रही है। बेघरों में तीन वक्त का खाना मुहैया कराया जा रहा है। हम प्रवासी मजदूरो का ध्यान रख रहे हैं। न्यूनतम मजदूरी 182 रुपए से बढ़ाकर 202 रुपए प्रतिदिन की गई है। राज्यों को आपदा फंड के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। मजदूरी को लेकर भेदभाव खत्म किया जाएगा। श्रम कानून में सुधार की बात चल रही है। मजदूरों का सालाना स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होगी।
छोटे व्यापारियों और किसानों को मदद
छोटे व्यापारियों और छोटे किसानों, स्वरोजगार करने वाले को राहत दी गई है। तीन करोड़ किसानों को सस्ती दरों पर लोन का फायदा मिला। वित्त मंत्री ने कहा गरीबों के खाते में सबसे पहले मदद पहुंचाई गई। 25 लाख नए किसानों को क्रेडिट कार्ड दिए गए। तीन करोड़ किसानों को चार लाख करोड़ रुपए मदद दी गई। फसल कर्ज अदायगी की समयसीमा भी बढ़ायी गई। राज्य के किसानों को 6700 करोड़ रुपए की मदद दी गई। कृषि क्षेत्र के लिए 86,600 करोड़ रुपए लोन की व्यवस्था की दी गई। पैसा सीधे किसानों के खाते में जा रहा है। 30 अपैल तक कृषि क्षेत्र में 63 लाख लोन मंजूर किए गए।
किसानों के लिए जो 4,22,000 करोड़ के कृषि लोन
वित्त ने कहा कि 3 करोड़ किसानों के लिए जो 4,22,000 करोड़ के कृषि लोन का लाभ दिया गया है उसमें पिछले तीन महीनों का लोन मोरटोरियम है। ब्याज पर सहायता दी है। 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड की मंजूरी दी है जिसकी लिमिट 25000 करोड़ होगी। पिछले मार्च और अप्रैल महीने में 63 लाख लोन मंजूर किए गए जिसकी कुल राशि 86600 करोड़ रुपया है जिससे कृषि क्षेत्र को बल मिला है। कॉर्पोरेटिव बैंक और रिजनल रुरल बैंक को मार्च 2020 नाबाड ने 29,500 करोड़ के रिफाइनेंस का प्रावधान किया। ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए राज्यों को मार्च में 4200 करोड़ की रुरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड राशि दी गई। कृषि उत्पादों की खरीद के लिए 6700 करोड़ की वर्किंग कैपिटल भी राज्यों को उपलब्ध करवाई गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल दी थी ये जानकारी...
सीतारमण ने बुधवार बताया था कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों समेत छोटे कारोबारियों को तीन लाख करोड़ रुपए का बिना गारंटी वाला लोन उपलब्ध कराने और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) तथा आवास वित्त कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपए की नकदी सुविधा उपलब्ध कराना शामिल है। इसके अलावा वेतन को छोड़ अन्य सभी भुगतानों पर टैक्स टीडीएस, टीसीएस की दर में 25 प्रतिशत की कटौती, कंपनियों को कर्मचारी भविष्य निधि में सांविधिक योगदान को वेतन के 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने, नकदी संकट से जूझ रही बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की मदद तथा निर्माण कंपनियों को सरकारी परियोजनाएं पूरी करने के लिए अतिरिक्त छह महीने का समय भी दिया गया है।
आत्मनिर्भर भारत बनने का लक्ष्य
सीतारमण ने बुधवार कहा था कि इन उपायों से वृद्धि को गति मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत बनने का रास्ता साफ होगा। उन्होंने कहा था इसके जरिए कारोबार सुगमता, अनुपालन को आसान बनाया गया है तथा साथ ही हमारा इरादा स्थानीय तौर पर बनने वाले उत्पादों को बढ़ावा देना भी है। कुल 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में पूर्व में घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज तथा आरबीआई के घोषित उपाय भी शामिल हैं। इस बड़े पैकेज के जरिए सरकार का लक्ष्य दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को कोरोना संकट के प्रभाव से उबारते हुए पटरी पर लाना और आत्मनिर्भर बनाना है।
एमएसएमई और अन्य छोटी यूनिट्स को मदद
एमएसएमई और अन्य छोटी इकाइयों के बारे में सीतारमण ने कहा कि उन्हें बिना किसी गारंटी के कर्ज की सुविधा मिलने से 45 लाख लघु उद्यमों को लाभ होगा। यह रिण रियायती ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जायेगा। यह रिण सुविधा 25 करोड़ रुपए तक बकाया कर्ज वाले और 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयों को उपलब्ध होगी जिनके कर्ज खाते मानक श्रेणी में होंगी। ऐसी इकाइयों को कर्ज के लिये कोई गारंटी नहीं देनी होगी, उस राशि पर भारत सरकार की पूरी गारंटी होगी। यह राशि इन इकाइयों को उनके 29 फरवरी 2020 के बकाये कर्ज के 20 प्रतिशत तक अतिरिक्त कार्यशील पूंजी के तौर पर उपलब्ध कराई जायेगी।
एमएसएमई के लिए फंड ऑफ फंड
वित्त मंत्री ने कहा कि यह कर्ज चार साल के लिये दिया जाएगा और मूल राशि लौटाने में पहले 12 महीने की राहत दी जाएगी। इसके अलावा इस समय कर्ज नहीं चुका पा रही एमएसएमई इकाइयों के लिए भी कुल 20,000 करोड़ रुपये के कर्ज की सुविधा दी जाएगी। इससे 2 लाख इकाइयों को लाभ होगा। सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई के लिये ‘फंड ऑफ फंड’ गठित किया जा रहा है, इसके जरिये वृद्धि की क्षमता रखने वाली और विस्तार करने वाली एमएसएमई में 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डाली जाएगी।
बदलेगी एमएसएमई की परिभाषा
वित्त मंत्री ने एमएसएमई की परिभाषा बदले जाने की भी जानकारी दी। इसमें एक तरफ निवेश सीमा को बढ़ाया गया है और साथ ही सालाना कारोबार का नया मानदंड भी इसमें जोड़ा गया है। इस पहल का उद्देश्य छोटी कंपनियों को उनके दायरे में बनाये रखते हुए वित्तीय और अन्य प्रोत्साहन उपलब्ध कराना है। नयी परिभाषा के तहत अब एक करोड़ रुपये तक के निवेश वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाई, 10 करोड़ रुपए के निवेश वाली लघु तथा 20 करोड़ रुपए के निवेश वाले मझोले उद्यम कहलाएंगे। अब तक यह सीमा क्रमश: 25 लाख रुपए, 5 करोड़ रुपए और 10 करोड़ रुपये थी। साथ ही एमएसएमई की परिभाषा के लिए सालाना कारोबार आधारित मानदंड भी बनाया गया है। इसके तहत 5 करोड़ रुपए तक के सालाना कारोबार वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाइयां, 50 करोड़ रुपए के कारोबार वाली लघु तथा 100 करोड़ रुपए के कारोबार वाली मझोली इकाइयां कहलाएंगी।
एमएसएमई का जीडीपी में एक तिहाई हिस्सेदारी
एमएसएमई को राहत पहुंचाते हुए एक बड़ी घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकारी तथा केंद्रीय लोक उपक्रमों पर छोटे उद्योगों का बकाया करीब एक लाख करोड़ रुपए का भुगतान 45 दिन के भीतर किया जाएगा। लघु एवं मझोले उद्यमों का देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब एक तिहाई हिस्सेदारी है और इसमें 11 करोड़ से अधिक कर्मचारी जुड़े हैं। बुधवार को की गयी पैकेज की घोषणा से उन्हें कोरोना वायरस के कारण जो बाधा उत्पन्न हुई, उससे पार पाने में मदद मिलेगी।
30,000 करोड़ रुपए के विशेष नकदी योजना की भी घोषणा
वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिए मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपए के विशेष नकदी योजना की भी घोषणा की। इसके अलावा कमजोर साख रखने वाले एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए 45,000 करोड़ रुपए की आंशिक ऋण गारंटी (पार्शियल क्रेडिट गारंटी) योजना 2.0 की भी घोषणा की। इस पहल का मकसद है कि ये कंपनियां व्यक्तियों तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कर्ज दे सकें।