- कोविड के दौरान बंद हुई सविधाएं अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।
- बुनियादी सुविधाओं की शुरुआत करने की मांग जोरों पर है।
- रेलवे जल्द ही इन सुविधाओं को शुरू करने पर विचार कर रहा है।
कोरोना के दौरान बंद हुई ट्रेन अब धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी है, पर यात्रा के दौरान रेल के डब्बों में मिलने वाली बेहद जरूरी समान अभी भी बंद पड़ी हैं, बात यात्रा के दौरान खान पान सेवा की हो या फिर एसी डब्बों में मिलने वाले बेडशीट और कंबल हो, कोविड के दौरान बंद हुई सविधाएं अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। रेलवे बोर्ड के सूत्रों की माने तो इन बुनियादी सुविधाओं की शुरुआत करने की मांग जोरों पर है और इसको देखते हुए रेलवे जल्द ही इन सुविधाओं को शुरू करने पर विचार कर रहा है।
रेलवे में खानपान की सुविधा मुहैया करने वाली संस्था आईआरसीटीसी चाहती हैं कि कैटरिंग सेवा बहाल किया जाए। जिससे यात्रियों को पैक्ड फुड के बदले पेंट्री कार में बना ताजा खाना मुहैया कराया जा सके। कैटरिंग आईआरसीटीसी का कोर बिजनेस है जो कि बीते 2 साल से बंद पड़ा है ऐसे में यह भी चिंता जताई है कि खान-पान बंद होने से आईआरसीटीसी के शेयर पर नेगेटिव सेंटिमेंट का असर पड़ेगा और इससे उसके शेयर वैल्यू पर असर पड़ेगा।
IRCTC की पैरेंट कंपनी रेलवे और इसमें रेल मंत्रालय की हिस्सेदारी ज्यादा बड़ी है। रेलवे को अपने इस नुकसान से बचने के लिए भी कैटरिंग सेवा को फिर से शुरू करने पर विचार करना होगा। इधर रेलवे ने यात्रियों के बीच खानपान सेवा को लेकर एक सर्वे कराया था। करीब 20000 यात्रियों के बीच किए गए सर्वे में 80 फीसदी यात्रियों की पहली पसंद बना हुआ खाना है ना कि प्री कुक्ड मिल जो कि मौजूदा समय में परोसा जा रहा है।
इधर रेलवे में यात्रियों की सुविधाएं के देख रेख के लिए बनाई गई कमेटी PAC यानी पैसेंजर एमनिटीज कमिटी ने अलग-अलग रेलवे स्टेशनों का दौरा कर मुसाफिरों और रेल कर्मियों से भी फीड बैक लिए हैं। सूत्रों के मुताबिक कमिटी ने रेल कर्मियों और मुसाफिरों से भी फीड बैट लिए हैं। लोगों ने इसमें कैटरिंग सेवा को फिर से बहाल करने और ट्रेनों में लिनन-ब्लैंकेट को फिर से दिए जाने की मांग की है कमिटी सर्दियों से पहले ट्रेनों में ब्लैंकेट-लिनन पर भी अपना सुझाव दे सकती है।
कमेटी की फाइंडिंग में कैटरिंग सेवा बंद होने का असर लाखों लोगों के रोज़गार पर भी असर पड़ा है. एक आंकड़े के मुताबिक कैटरिंग में डायरेक्ट और इनडारेक्ट तौर पर क़रीब 5 लाख लोग जुड़े हुए हैं.।