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Gold Hallmarking Rules in Hindi: गोल्ड हॉलमार्किंग क्या है? यह क्यों जरूरी है, जानिए विस्तार में

Updated Nov 11, 2020 | 11:54 IST

इस धनतेरस और दिवाली पर सोना खरीदने से पहले यह जान लें कि सोने और चांदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग क्या है और यह क्यों जरूरी है। 

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गोल्ड हॉलमार्किंग
मुख्य बातें
  • हॉलमार्क गोल्ड ज्वैलरी बेचना अनिवार्य कर दिया गया है
  • ज्वैलर्स उचित हॉलमार्किंग और सर्टिफिकेशन के बिना सोने के गहने नहीं बेच पाएंगे
  • हॉलमार्किंग से सोने और चांदी की शुद्धता का निर्धारण होता है

सरकार ने जनवरी 2020 में भारत के सभी ज्वैलर्स के लिए हॉलमार्क गोल्ड ज्वैलरी बेचना अनिवार्य कर दिया। हालांकि उन्हें भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के साथ रजिस्ट्रेशन करने और अपनी पुरानी इंवेंटरी को बेचने के लिए एक साल का समय दिया। ज्वैलर्स 15 जनवरी 2021 से ज्वैलर्स उचित हॉलमार्किंग और सर्टिफिकेशन के बिना सोने के गहने नहीं बेच पाएंगे। जनवरी में जारी एक सरकारी आदेश ने बीआईएस के साथ रजिस्टर्ड होने और हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों और 14, 18 व  22 कैरेट के सोने की ज्वैलरी की बिक्री करने वाले सभी ज्वैलर्स को अनिवार्य कर दिया था। 

सोने और चांदी की हॉलमार्किंग क्या है?

हॉलमार्किंग कीमती धातु के आनुपातिक सामग्री का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग है। हॉलमार्क इस प्रकार कई देशों में उपयोग किए जाने वाले आधिकारिक निशान हैं जो कीमती धातु की शुद्धता या सुंदरता की गारंटी के रूप में उपयोग की जाती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो, हॉलमार्किंग तीन श्रेणियों: 14, 18 और 22 कैरेट में सोने के आभूषणों की शुद्धता के स्तर का निर्धारण है।

हॉलमार्किंग क्यों महत्वपूर्ण है?  

सरकार की हॉलमार्किंग योजना का मुख्य लक्ष्य हैं, मिलावट के खिलाफ जनता की रक्षा करना और निर्माताओं को कानूनी मानकों को बनाए रखने के लिए बाध्य करना है। सरकार का कहना है कि सोने और चांदी के आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग का उद्देश्य सोने या चांदी की गुणवत्ता को लेकर उपभोक्ता की रक्षा करना है और भारत को विश्व में एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में विकसित करना और निर्यात प्रतिस्पर्धा विकसित करना है। 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट के सोने के आभूषण केवल हॉलमार्क करके बेचे जा सकते हैं।

क्या ग्राहकों के लिए सोने की शुद्धता की जांच करना संभव है? 

भारत में करीब 234 जिलों में फैले 915 बीआईएस मान्यता प्राप्त परख और हॉलमार्किंग (ए एंड एच) केंद्रों में से किसी एक से अपने आभूषणों की शुद्धता की जांच करवाना उपभोक्ताओं के लिए संभव है। देश के सभी प्रमुख आभूषण विनिर्माण केंद्रों में पहले से ही पर्याप्त संख्या में ए एंड एच केंद्र हैं। उपभोक्ता इनमें से किसी ए एंड एच केंद्र को 200 रुपए का भुगतान करने के बाद अपने आभूषण की जांच करवा सकते हैं। बीआईएस द्वारा मान्यता प्राप्त ए एंड एच केंद्र की लिस्ट यहां उपलब्ध है।

क्या उपभोक्ता आभूषण बेच सकते हैं जो हॉलमार्क नहीं है? 

ज्वैलर्स के लिए अनिवार्य हॉलमार्किंग सोना चांदी ही बेचने का ऑर्डर है। जबकि उपभोक्ता अपने आभूषण ज्वैलर को हॉलमार्क के बिना भी बेच सकते हैं। ज्वैलर आभूषण को पिघला सकता है और ग्रेड के 14, 18 या 22 कैरेट का नया आभूषण बना सकता है। केवल भारतीय मानक IS 1417:2016 में निर्दिष्ट कर सकता है और इसे फिर से बेचने के पहले इसकी हॉलमार्क करेगा।
 

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