- 'संयुक्त राष्ट्र ने भारत और चीन को छोड़कर दुनिया का आर्थिक मंदी से चेताया, 2.5 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है नुकसान'
- 'जी-20 के देशों के पैकेज ऐलान से भारत की आर्थिर रफ्तार में ज्यादा गिरावट नहीं आएगी'
- 'ज्यादातर विकासशील देशों में मांग की कमी की वजह से विकसित देशों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा'
नई दिल्ली। दुनिया के 196 देश इस समय कोरोना संक्रमण का सामना कर रहे हैं। दुनिया की विकसित, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से कहा गया है कि अगर ऐसी स्थिति अगले 6 महीने तक बनी रही तो विश्व को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर मुहर लगाई लगाई है। लेकिन कहा है कि आर्थिक मंदी के खतरे से भारत और चीन सामना कर सकते हैं।
विकसित देशों के सामने बड़ी चुनौती
संयुक्त राष्ट्र की ट्रेड रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की वजह से पूरी दुनिया को करीब 2.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन में कमी आएगी और उसकी वजह से आर्थिक चक्र गड़बड़ा जाएगा। दुनिया की करीब दो तिहाई आबादी जो विकासशील देशों में रहती है वहां की अर्थव्यवस्था ज्यादा प्रभावित होगी। यूएन का मानना है कि अर्थव्यवस्था का मूल आधार मांग और पूर्ति में सामांजस्य का स्थापित होना है। लेकिन जिस तरह से कोरोना की वजह से संकट उत्पन्न हुआ है उस हालात में विकसित देशों के सामने बड़ी चुनौती है।
राहत पैकेज की वजह से भारत को होगा फायदा
अंकटाड का कहना है कि विकासशील देशों में मांग की कमी की वजह से ऐसे मुल्क जो ज्यादा निर्यात करते हैं उन्हें अगले दो वर्षों में 2 से 3 ट्रिलियन के नुकसान का सामना करना होगा। लेकिन जिस तरह से चीन ने अपने यहां पैकेज के जरिए अपने उद्योग धंधों को बचाने की कोशिश की है या जी-20 के देशों ने 5 ट्रिलियन डॉलर की राहत पैकेज का ऐलान किया है इससे भारत और चीन को फायदा मिलेगा।