- सरकार ने शुक्रवार को अहम फैसले लिए हैं।
- रिलायंस जैसी कंपनियों द्वारा पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के अन्य देशों को निर्यात पर टैक्स लगाया जाएगा।
- सरकार ने गोल्ड की डिमांड पर लगाम लगाने के लिए इसके इंपोर्ट पर शुल्क बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली। 1 जुलाई 2022 को केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने पेट्रोल, डीजल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) के निर्यात पर बड़ा फैसला लिया है। सरकार के पेट्रोल, डीजल और हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले एटीएफ के एक्सपोर्ट पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का फीसला लिया है। सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर की दर से टैक्स लगाने का फैसला लिया है। इसके साथ ही डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर की दर से टैक्स लगाने का निर्णय लिया गया है। इससे ईंधन की डोमेस्टिक कीमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कच्चे तेल से अप्रत्याशित लाभ पर भी टैक्स
ओएनजीसी और वेदांता लिमिटेड जैसी दिग्गज कंपनियों द्वारा स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल से मिलने वाले अप्रत्याशित लाभ पर भी टैक्स लगाया गया है। इस संदर्भ में वित्त मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी की। क्रूड ऑयल के घरेलू स्तर पर उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन का अतिरिक्त टैक्स लगाया गया है।
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इस फैसले का रिफाइनिंग और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर कितना असर होगा? जानने के लिए देखें ये वीडियो-
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सरकारी सेक्टर की ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड एवं प्राइवेट सेक्टर की वेदांता लिमिटेड की केयर्न ऑयल एंड गैस के कच्चे तेल के उत्पादन पर टैक्स लगाने से और 2.9 करोड़ टन कच्चे तेल के डोमेस्टिक स्तर पर उत्पादन से सरकार को सालाना 67,425 करोड़ रुपये मिलेंगे।
दरअसल एक्सपोर्ट पर टैक्स लगाने का उद्देश्य पेट्रोल पंपों पर डोमेस्टिक सप्लाई बेहतर करना है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में तेल की कमी है। प्राइवेट रिफायनरी तेल की स्थानीय स्तर पर बिक्री करने के बजाए एक्सपोर्च को प्राथमिकती दे रही हैं।