नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार छोटे उद्यमों को गारंटी मुक्त ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिये 3 लाख करोड़ रुपए की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना में और बदलाव लाने को तैयार है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अनुसार वित्त मंत्री ने कहा कि घरेलू राजस्व प्राप्ति को लेकर इस समय चिंता है क्योंकि पर्यटन, रीयल एस्टेट, होटल एवं आतिथ्य तथा एयरलाइन क्षेत्र पर कोविड- 19 महामारी का बहुत बुरा असर हुआ है।
सीआईआई सदस्यों के साथ बंद कमरे में हुई बैठक में सीतारमण ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र में सुधार सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। ऐसे में वह बैंकों सहित मंत्रिमंडल से मंजूरी प्राप्त विनिवेश प्रस्तावों पर तेजी से आगे बढ़ेगी। सीआईआई ने सीतारमण के हवाले से कहा कि तीन लाख करोड़ रुपए की गारंटी मुक्त ऋण योजना अब पेशेवरों के लिए खुली है और यदि जरूरत पड़ती है तो सरकार इसमें और बदलावों के लिये तैयार है।
सरकार ने इस माह की शुरुआत में तीन लाख करोड़ रुपए की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का दायरा बढ़ाते हुए बकाये कर्ज की सीमा को दोगुना करते हुए 50 करोड़ रुपए कर दिया। इसके साथ ही एमएसएमई के अलावा इसमें कुछ व्यक्तिगत पेशेवरों जैसे डॉक्टर, वकील और चार्टर्ड अकाउंटेंट को व्यावसायिक कार्यों के लिए दिए गए कर्ज को भी इस सुविधा के दायरे में ले लिया।
ईसीएलजीएस की घोषणा आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत की गई है। 20 अगस्त की स्थिति के अनुसार बैंकों ने योजना के तहत एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज वितरित कर दिया है। योजना विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए शुरू की गई है।
सीतारमण ने कहा कि सरकार के लिए ढांचागत सुधार सबसे अहम प्राथमिकता है। यह कोविड- 19 की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए की गई सरकारी घोषणाओं में परिलक्षित होती है। सरकार चिंताओं को जानने और समझने के लिए उद्योगों से मिल रही है।
प्राइवेट सेक्टर से निवेश बढ़ाने के मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि सरकार ने सितंबर 2019 में कंपनी टैक्स की दर में बड़ी कटौती की लेकिन कोविड- 19 की वजह से निवेश नहीं हो सका। कोविड- 19 के बाद की परिस्थितियों में अब डेटा केन्द्रित विनिर्माण मॉडल और वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नया निवेश हो सकता है। सीतारमण ने कहा कि बैंकों को पर्याप्त समर्थन देने के लिए सरकार रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम कर रही है।