- जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक हो रही है
- बैठक का एकमात्र एजेंडा राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई है
- केंद्र ने 2019-20 में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में 1.65 लाख करोड़ रुपए जारी किए
GST Council meeting : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की आज बैठक हो रही है। ऐसा माना जा रहा है कि बैठक हंगामेदार हो सकती है। क्योकि गैर बीजेपी शासित राज्य जीएसटी लागू करने के चलते राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र पर वादे के अनुसार क्षतिपूर्ति देने को लेकर दबाव बनाने हेतु पूरी तरह से एकजुट हैं। जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए होगी। बैठक का एकमात्र एजेंडा राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई है। बैठक में जिन विकल्पों पर विचार किया जा सकता है, उनमें बाजार से कर्ज, सेस की दर में वृद्धि या क्षतिपूर्ति सेस के दायरे में आने वाले वस्तुओं की संख्या में वृद्धि, शामिल हैं। जीएसटी परिषद को यह विचार करना है कि मौजूदा हालात में राजस्व में कमी की भरपाई कैसे हो। केंद्र ने 2019-20 में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में 1.65 लाख करोड़ रुपए जारी किए। हालांकि सेस संग्रह से प्राप्त राशि 95,444 करोड़ रुपए ही थी।
सूत्रों के अनुसार काउंसिल के पास कमी को जीएसटी दरों को युक्तिसंगत टैक्स, क्षतिपूर्ति सेस के अंतर्गत और कमोडिटिज को शामिल कर या सेस को बढ़ाकर या राज्यों को अधिक उधार की अनुमति देने जैसे विकल्प हैं। बाद में राज्यों के कर्ज भुगतान क्षतिपूर्ति फंड में भविष्य में होने से संग्रह से किया जा सकता है।
जीएसटी कानून के तहत राज्यों को जीएसटी के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले 5 साल तक पूरा करने की गारंटी दी गई है। जीएसटी एक जुलाई, 2017 से लागू हुआ। कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14% सालाना वृद्धि को आधार बनाकर किया जाता है। केरल, पंजाब और बिहार जैसे राज्य पहले ही कह चुके हैं कि जीएसटी लागू होने के पांच साल तक राज्यों को अगर राजस्व कुछ भी नुकसान होता है, तो केंद्र इसकी भरपाई के लिए नैतिक रूप से बंधा हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि कपड़ा और जूता-चप्पल जैसे कुछ उत्पादों पर उल्टा शुल्क ढांचा यानी तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक दर से टैक्सेशन को ठीक करने पर भी चर्चा होने की संभावना है। कोविड-19 संकट ने राज्यों की फाइनेंसियल समस्या बढ़ा दी है। बैठक से पहले विपक्षी दलों के राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बुधवार को इस मामले में साझा रणनीति तैयार करने के लिए डिजिटल तरीके से बैठक की।
इससे पहले, महान्यायवादी के के वेणुगोपाल ने कहा था कि केंद्र, राज्यों को जीएसटी राजस्व में किसी प्रकार की कमी को पूरा करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि वेणुगोपाल की राय के बाद राज्यों को राजस्व की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज लेने पर गौर करना पड़ सकता है। इस बारे में जीएसटी परिषद अंतिम फैसला करेगा।
केंद्र सरकार ने मार्च में महान्यावादी से क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के लिए जीएसटी परिषद द्वारा बाजार से कर्ज लेने की वैधता पर राय मांगी थी। क्षतिपूर्ति कोष का गठन लग्जरी और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर किया गया है। इसके जरिये राज्यों को जीएसटी लागू करने से राजस्व में होने वाली किसी भी कमी की भरपाई की जाती है। महान्यायवादी वेणुगोपाल ने यह भी राय दी थी कि परिषद को पर्याप्त राशि उपलब्ध कराकर जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के बारे में निर्णय करना है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जीएसटी परिषद की बैठक में कैसा माहौल होगा, उसका एक तरह से संकेत दे दिया है। उन्होंने विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में बुधवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार की ओर से जीएसटी से जुड़ा मुआवजा देने से इनकार करना राज्यों और जनता के साथ छल है। गांधी ने बैठक में कहा कि हमें केंद्र सरकार के खिलाफ साथ मिलकर काम करना और लड़ना होगा।