- दिल्ली में GST अधिकारियों ने 34 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी का खुलासा किया।
- इसमें सात कंपनियां शामिल हैं।
- फर्जी फर्म बनाने और फर्जी जीएसटी चालान बनाने व बेचने के रैकेट को चलाने के पीछे मास्टरमाइंड ऋषभ जैन था।
GST Fraud: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) आयुक्तालय, दिल्ली (पूर्व) की चोरी रोधी शाखा (Anti Evasion branch of Central Goods and Service Tax (CGST) Commissionerate, Delhi (East) के अधिकारियों ने विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर अनुचित इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ/उपयोग और पासिंग के एक मामले ( input tax credit fraud) का खुलासा किया है। लगभग 34 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी चालान के माध्यम से धोखाधड़ी की गई। माल की वास्तविक आवाजाही के बिना और सरकार को वास्तविक जीएसटी का भुगतान किए बिना धोखाधड़ी वाले आईटीसी को पारित करने के इरादे से फर्जी जीएसटी चालान बनाने के लिए सात फर्मों का निर्माण किया गया था। इन संस्थाओं ने लगभग 220 करोड़ रुपये के माल-रहित जीएसटी चालान तैयार किए हैं और लगभग 34 करोड़ रुपये की राशि के अस्वीकार्य आईटीसी को पारित किया है।
ऋषभ जैन था मास्टरमाइंड
विभाग ने कहा कि फर्जी फर्म बनाने और फर्जी जीएसटी चालान बनाने/बेचने के इस रैकेट को चलाने के पीछे ऋषभ जैन मास्टरमाइंड था। इस नेटवर्क में शामिल फर्मों में ब्लू ओशन, हाईजैक मार्केटिंग, कान्हा एंटरप्राइजेज, एसएस ट्रेडर्स, एवरनेस्ट एंटरप्राइजेज, ज्ञान ओवरसीज और विहार एक्सपोर्टर्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
जैन ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए स्वैच्छिक बयान दिया कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ओवरड्राफ्ट खाते का भुगतान न करने के कारण बैंकरों द्वारा व्यवसाय परिसर को सील कर दिया गया था। इसके बाद वह माल की वास्तविक आवाजाही के बिना फर्जी जीएसटी चालान जारी करने में शामिल हो गया।
मामले में आगे की जांच जारी
जैन ने जानबूझकर सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 (1) (बी) के तहत अपराध किया है जो धारा 132 (5) के प्रावधानों के अनुसार यह गैर-जमानती अपराध है। विभाग ने कहा कि जैन को 13 नवंबर को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 132 के तहत गिरफ्तार किया गया और 26 नवंबर तक ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आगे की जांच जारी है।