- उम्र अधिक होने पर देना होता है ज्यादा प्रीमियम
- कोरोना काल में हेल्थ इंश्योरेंस की मांग में इजाफा
- परिवार आधारित स्वास्थ्य बीमा, व्यक्तिगत बीमा से किफायती
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खतरे के बीच हर किसी की हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। इसका पुष्टि स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने वाली करती हैं। उनके मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में आप के मन में तमाम तरह के सवाल उठ रहे होंगे कि बीमा हासिल करने के लिए कितनी न्यूनतम उम्र होनी चाहिए। इसके साथ ही प्रीमियम की राशि क्या होगी। यहां पर हम आपके सभी संदेह को दूर करते हुए सिलसिलेवार जानकारी देंगे।
पॉलिसीधारक की उम्र
हेल्थ इंश्योरेंस मुहैया कराने वाली कंपनियां पॉलिसीधारक की उम्र और जेंडर के हिसाब से प्रीमियम का निर्धारण करती हैं। ज्यादातर मामलों में अगर पॉलिसी लेने वाले की उम्र अधिक है तो प्रीमियम ज्यादा देना पड़ता है, सामान्य तौर पर जिन लोगों की उम्र 40 साल से ज्यादा होती है उन्हें ज्यादा प्रीमियम अदा करना होता है। इसके पीछे बड़ी वजह यह होती है कि जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे पॉलिसी धारक पर रोग का खतरा बढ़ता जाता है। कुछ बीमाधारी कंपनियां पॉलिसीधारक के जेंडर को भी देखती हैं, मसलन पॉलिसी लेना वाला महिला या पुरुष है।
टाइप ऑफ पॉलिसी
जो पॉलिसी आप लेते हैं उसके प्रीमियम निर्धारण के लिए प्लान को भी देखा जाता है।फैमिली फ्लोटर प्लान सामान्य तौर पर व्यक्तिगत पॉलिसी से सस्ती मानी जाती है, क्योंकि एक ही बीमा में परिवार के सभी सदस्य कवर हो जाते हैं। हालांकि इस प्लान में प्रीमियम का निर्धारण उस शख्स की उम्र से निर्धारित की जाती है जो सबसे अधिक उम्र वाला हो।
सम इंस्योर्ड और एड ऑन्स
फर्ज करिए कि आप 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा चाहते हैं तो उसका असर आपके प्रीमियम पर होगा। हालांकि अगर कुछ साल के बाद आप अगर सम इंस्योर्ड को बढ़ना चाहते हैं तो उसकी वजह से प्रीमियम में उसके हिसाब से बदलाव नहीं होगा।
अगर आप अपने बीमा की राशि बढ़ाना चाहते हैं तो स्वाभाविक तौर पर प्रीमियम पर असर पड़ेगा लेकिन यह देखना होगा कि आप किस प्लान को जोड़ना चाहते हैं। इसे आप इस तरह समझ सकते हैं कि अगर आप को गंभीर बीमारी हो गई तो उसमें आने वाला संभावित खर्च आपकी पॉकेट से ज्यादा हो सकती है ऐसे में अगर आप अपनी पहले से मौजूद पॉलिसी की राशि को बढ़ाना चाहते हैं तो अदा की जाने वाले प्रीमियम के बोझ को वहन कर सकते हैं।
पहले से कोई बीमारी हो
यदि किसी शख्स को पहले से बीमारी हो तो उसे ज्यादा प्रीमियम अदा करना पड़ सकता है। वजह यह है कि उस शख्स के जरिए बीमा को क्लेम करने की संभावना अधिक होती है। हालांकि इसके लिए भी व्यवस्था यह है कि आप कुछ अतिरिक्त प्रीमियम पे कर सकते हैं या हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां वेटिंग पीरियड का सलाह देती हैं।
परिवार की मेडिकल हिस्ट्री
कुछ मामलों में व्यक्तिगत या परिवार की मेडिकल हिस्ट्री का प्रीमियम पर असर पड़ता है। दरअसल इसके पीछे वजह यह होती है कि जिस परिवार की मेडिकल हिस्ट्री में अस्पताल जाने की दर अधिक रही हो तो उस केस में इश्योरेंस कंपनियों को ज्यादा अदा करना पड़ सकता है, ऐसे में प्रीमियम ज्यादा चुकाना पड़ता है।