- आरबीआई ने रेपो रेट को 4% पर बरकरार रखा
- चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 7.5% गिरावट का अनुमान
- जीडीपी वृद्धि दर तीसरी तिमाही में 0.1% के साथ सकारात्मक दायरे में लौटने का अनुमान
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार (04 दिसंबर) को तीन दिनों तक चली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजे पेश किए। आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि सर्वसम्मति से किसी तरह के ब्याज दरों बदलाव नहीं किया गया। प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4% पर बरकरार रखा। हालांकि, आरबीआई ने मौद्रिक नीति के मामले में उदार रुख बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में जरूरत पड़ने पर वह नीतिगत दर में कटौती कर सकता है। रेपो रेट में बदलाव नहीं होने से लोगों के आवास, वाहन समेत अन्य किसी भी तरह के लोन पर ब्याज दरें वैसे ही रहेंगी जैसे पहले थीं।
एमपीसी की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया। उन्होंने यह भी कहा कि एमपीसी ने मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप रखने के साथ आर्थिक वृद्धि में सतत रूप से तेजी लाने और कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को कम करने के लिए जबतक जरूरी हो, कम-से-कम चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष नरम रुख बरकरार रखने का फैसला किया है। आइए जानते हैं आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी (एमपीसी) की हुई बैठक की मुख्य बातें क्या हैं।
आरबीआई एमपीसी की बैठक की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:-
- प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4% पर बरकरार रखा।
- रिवर्स रेपो 3.35% और स्थायी सीमांत सुविधा (एमएसएफ), बैंक दर 4.25% पर बनी रहेगी।
- आरबीआई ने मौद्रिक नीति में नरम रुख बरकरार रखा, सर्दियों में महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद जताई।
- मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी के सभी सदस्यों ने महंगाई दर के उच्च स्तर को देखते हुए नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में फैसला किया।
- चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में दिखे आर्थिक पुनरूद्धार के शुरूआती संकेत।
- चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 7.5% गिरावट का अनुमान।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर तीसरी तिमाही में 6.8%, चौथी तिमाही में 5.8% रहने का अनुमान।
- आरटीजीएस प्रणाली अगले कुछ दिन में सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे काम करने लगेगी।
- कार्ड से संपर्करहित लेन-देन की सीमा जनवरी 2021 से 2000 रुपए से बढ़ाकर 5000 रुपए कर दी जाएगी।
- रिजर्व बैंक वित्तीय प्रणाली में जमाकर्ताओं का हित सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध।
- अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार दिख रहा है और नए सेक्टर भी सुधार की राह पर लौट रहे हैं।
- वित्तीय बाजार व्यवस्थित तरीके से काम कर रहे हैं।
- जीडीपी वृद्धि दर तीसरी तिमाही में 0.1% के साथ सकारात्मक दायरे में लौट आयेगी, चौथी तिमाही में 0.7% की वृद्धि और पूरे वित्त वर्ष में कुल मिलाकर 7.5 % की गिरावट रहने का अनुमान है।
- वाणिज्यिक व सहकारी बैंक 2019- 20 का मुनाफा अपने पास ही रखेंगे और वित्त वर्ष के लिये किसी लाभांश का भुगतान नहीं करेंगे।