अपने लिए घर खरीदने का फैसला कोई आसान नहीं होता है। यह एक बड़ा वित्तीय कदम है जिसके लिए बहुत अधिक पैसे की जरूरत होती है। इसके बावजूद, घर के मालिक बनने का सपना अधिकांश भारतीय संजोते हैं। अपना घर होने से एक सुरक्षा और स्थिरता की भावना पैदा होती है और आपका आत्म-स्वाभिमान बढ़ता है। अधिकांश खरीददारों के लिए घर खरीदना यानि एक मोटी रकम खर्च करना होता है। इसलिए अक्सर वे इस लेनदेन को पूरा करने के लिए होम लोन पर निर्भर करते हैं।
क्योंकि बड़ी रकम की शामिल होती है, इसलिए किसी भी खरीददार को बहुत से कारकों के प्रति सजग रहना पड़ता है। नया घर (रिसेल नहीं) खरीदते समय आपको तीन पहलुओं पर ध्यान रखना चाहिए। इन पहलुओं में विनियामक, वित्तीय और लोकेशन संबंधी फैक्टर्स शामिल होते हैं। इस पहलुओं पर विवेकपूर्ण रूप से विचार करने से खरीददारों को अपनी सपनों की खरीद के संबंध में सकून मिलता है। घर खरीदने से पहले आपको इन पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार करना चाहिए।
अफार्डेबिलिटी और रिपेमेंट क्षमता
होम लोन के कारण घर का मालिक बनना सुविधाजनक और अफार्डेबल बन गया है। लेकिन, इससे पहले की आप घर खरीदते हैं, तो आपको अपनी वित्तीय स्थिति को ज़रूर समझ लेना चाहिए तथा डाउनपेमेंट्स तथा किश्तों के संबंध में तैयारी कर लेनी चाहिए। यदि घर की कीमत 100/- रूपये है, तो यहां पर अतिरिक्त लागतें शामिल होती हैं जिससे घर की कीमत बढ़कर 120 से 130/- रूपये हो सकती है। इसमें से, होम लोन से 75-90% तक फाइनेंस प्राप्त किया जा सकता है। शेष राशि की व्यवस्था आपको खुद ही करनी होगी। बड़ी राशि की डाउनपेमेंट से आपकी लोन
की ज़रूरत कम हो सकती है और इसलिए आपका ईएमआई भार भी कम हो सकता है। आपको अभी भी 40 से 50/- रूपये की आवश्यकता होगी जिसकी व्यवस्था आपको खुद ही करनी होगी। तय करें कि आपके पास यह राशि उपलब्ध है। इस डाउन पेमेंट को सेव करने के अनेक तरीके हैं। उदाहरण के लिए, आप 25,000/- रूपये प्रति माह एसआईपी के ज़रिए ईक्विटी म्यूचल फंड में जमा करवा सकते हैं और जिससे आपको तीन वर्ष के बाद 12% औसत रिटर्न के बाद 10.9 लाख रूपये की प्राप्ति होगी।
हालांकि उधारदाता, आपके लोन की मंजूरी देते समय आपकी रिपेमेंट क्षमता की जांच करेगा, फिर भी आप अपनी वित्तीय हैल्थ के बेहतर निर्णायक हो सकते हैं। ईएमआई के भुगतान में अनुशासित बने रहने और यह सुनिश्चित करने के लिए आप ही जिम्मेवार होंगे कि आप इतनी पर्याप्त सेविंग करते हैं जिससे आप अपने मासिक खर्चों का भुगतान कर सकें।
क्रेडिट स्कोर
यदि आप अपने नए घर को फाईनेंस करवाने वाले हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि आपका क्रेडिट स्कोर मजबूत होना चाहिए और यह 750 या उससे अधिक होना चाहिए। इससे आपकी साख मजबूत होती है और न्यूनतम ब्याज दरों पर लोन प्राप्त करने की आपकी पात्रता भी बढ़ जाती है। यदि आपकी मौजूदा अल्पकालिक ईएमआई है, तो इस बात की पुरजोर सिफारिश की जाती है कि आप उसका जितनी जल्दी हो सके निपटान कर दें। बहुत अधिक ईएमआई से आपकी रिपेमेंट की क्षमता प्रभावित हो सकती है और इस प्रकार फाईनेंस प्राप्त करने की आपकी पात्रता पर प्रभाव पड़ सकता है।
रेरा (RERA) और अन्य दस्तावेज ब्यौरा
घर के खरीददारों को सबसे पहले विवेकपूर्ण रूप से इस बात की जांच-परख कर लेनी चाहिए कि क्या जिस प्रोपर्टी को वे खरीद रहे हैं, उसके संबंध में आवश्यक प्रमाणपत्र उपलब्ध हैं, कानूनी रूप से वैलिडिटी पत्र, और स्थानीय क्लीयरेंस आदि हैं। एक बहुत सामान्य सी बात की जांच कर लेनी चाहिए कि क्या प्रोपर्टी रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी ऑथारिटी (RERA) रजिस्टर्ड है। रेरा (RERA) रजिस्टर्ड प्रोपर्टी से आपको उस समय सुरक्षा मिलती है जब आपके प्रोजेक्ट में देरी होती है और प्रोजेक्ट में घटिया निर्माण के बारे मे जब उत्तरदायित्व तय करना होता है। उधारदाता किसी ऐसी प्रोपर्टी को फाईनेंस करने में रूचि नहीं दिखाते जिसके लिए आवश्यक प्रमाणपत्र और क्लीयरेंस प्राप्त नहीं की जाती हैं।
टाइटल डीड (स्वामित्व विलेख) तथा एन्कम्बरेंस प्रमाणपत्र
अपने नए घर का अंतिम फैसला करने से पहले, एक सबसे महत्वपूर्ण बात जिसकी आपको जांच कर लेनी चाहिए, वह भूमि की टाइटल डीड होती है, जिस पर प्रोपर्टी या प्रोजेक्ट आधारित है। टाइटल डील वह दस्तावेज़ है जिससे इस बात की सही जानकारी मिल जाती है कि प्रोपर्टी का मालिक बिल्डर है, स्वामित्व को बेचने या ट्रांसफर करने का उसे अधिकार और क्या प्रोपर्टी के संबंध में कोई मुकदमा आदि तो नहीं चल रहा है। आप दस्तावेजों की जांच करने के लिए वकील की भी सहायता ले सकते हैं।
इसी तरह से आपको एन्कम्बरेंस प्रमाणपत्र की भी जांच कर लेनी चाहिए। आपको होम लोन का आवेदन करते समय एन्कम्बरेंस प्रमाणपत्र की ज़रूरत होगी। यह वह दस्तावेज है जो इस बात का साक्ष्य होता है कि प्रोपर्टी के सम्ब्ध में कोई कानूनी अड़चनें तो नहीं हैं। आप किसी ऐसी प्रोपर्टी में निवेश नहीं करना चाहेंगे जिससे भविष्य में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
स्टाम्प शुल्क और अन्य चार्ज पर ध्यान दें
आपको बताई गई कीमत की तुलना में वास्तविक कीमत अलग हो सकती है। किसी नई प्रोपर्टी को खरीदते समय आपको अनेक चार्जेस का भुगतान करना पड़ सकता है। खरीददारी के समझौते पर हस्ताक्षर करते समय, वास्तविक कीमत बढ़ जाती है, जिससे आपको बाद में परेशानी हो सकती है। इसलिए, घर की बेस कीमत के अलावा कुछ ज़रूरी चार्जेस की जानकारी प्राप्त करने से आप बेहतर वित्तीय प्लानींग कर सकेंगे जिससे खरीद के समय आप गैर-ज़रूरी परेशानी से बच सकेंगे। स्टाम ड्यूटी (5-7%), रजिस्ट्रेशन शुल्क- 12%, रख रखाव चार्जेस और पार्किंग चार्जेस से वास्तविक लागत में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा, निर्माणाधीन अफार्डेबल घरों (45 लाख से नीचे) के लिए 1% माल और सेवा कर (जीएसटी) और 45 लाख से ऊपर के लिए यह कर 5% होता है। यह कुछ महत्वपूर्ण अतिरिक्त लागतें होती हैं जिनकी जानकारी आपको अपने सपनों का घर खऱीदने से पहले होनी चाहिए।
अंत में
उपरोक्त उल्लिखित पांच बिंदुओं के अलावा, नए घर की खोज करते समय, प्रोपर्टी की लोकेशन का भी आंकलन करें। आदर्श रूप से, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, रेल और सड़क कनेक्टिविटी, एयरपोर्ट और शॉपिंग मार्केट्स आदि लोकेशन के समीप होनी चाहिए। इससे आपकी सुविधा बढ़ती है और आपके रहन-सहन के मानकों में बढ़ोतरी होती है। जीवन में घर खरीदने के क्षण बहुत ही कम होते हैं। आपको ऐसे मौके बहुत ही कम मिलेंगे। थोड़ी सी सावधानी, वित्तीय प्लानिंग, खोज और समझदारी से, आप इसे आनन्दपूर्ण और सुरक्षित अनुभव बना सकते हैं।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)