- टर्म इंश्योरेंस प्लान एक तय समय के लिए खरीदा जाता है।
- एंडोमेंट पॉलिसी में बीमा और निवेश दोनों होते हैं।
- यूलिप पॉलिसी में पैसा शेयर मार्केट में लगता है।
Insurance Policies:इंश्योरेंस को लेकर हमेशा कंफ्यूजन रहता है। कोई कहता है कि आपके परिवार का रखेंगे ख्याल, तो कोई कहता है रोज केवल 15 रुपये खर्च कर लो और एक करोड़ की टेंशन खत्म, तो कोई कहता है आपके साथ भी और आपके बाद भी। ऐसे में इंश्योरेंस के फंडे को समझना बेहद जरूरी है, जिससे कोई व्यक्ति अपने लिए सही पॉलिसी का चुनाव कर सके। इसके तहत हम आपको आज लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं।
टर्म इंश्योरेंस
यह प्लान एक तय समय के लिए खरीदा जाता है, जैसे 10, 20 या 30 साल । जैसी जरूरत वैसा प्लान, पैसा लगा रहे तो लाइफ का रिस्क कवर होगा लेकिन कुछ रिटर्न के बारे में मत सोचिए । इसलिए कम पैसे देकर ज्यादा सुरक्षा मिलती है। टर्म इंश्योरेंस में पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर पॉलिसी के तहत एश्योर्ड सम यानी एक तय रकम बेनिफीशियरी या नॉमिनी को दी जाती है। लेकिन पॉलिसी की अवधि के दौरान अगर बीमाधारक जीवित रहता तो, पैसा नहीं मिलेगा। एक बात और जानना जरूरी है, जितनी कम उम्र में कराएंगे, उतने कम पैसे में ज्यादा कवर मिल जाएगा।
एंडोमेंट पॉलिसी
इस तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमा और निवेश दोनों होते हैं। इस पॉलिसी में एक निश्चित अवधि के लिए रिस्क कवर होता है और उस अवधि के खत्म होने के साथ बोनस के साथ एश्योर्ड राशि पॉलिसीधारक को वापस मिल जाती है। पॉलिसीधारक की मौत होने या तय समय के बाद एंडोमेंट पॉलिसी के तहत पॉलिसी अमाउंट की फेस वैल्यू का भुगतान किया जाता है। कुछ पॅलिसी गंभीर बीमारी के मामले में भी भुगतान करती हैं।
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मनीबैक पॉलिसी
पॉलिसी में निवेश और बीमा का मेल है। अंतर इतना है कि इस लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में बोनस के साथ एश्योर्ड राशि पॉलिसी की अवधि के दौरान ही किस्तों में वापस मिलती रहती है। आखिरी किस्त पॉलिसी खत्म होने पर मिलती है। अगर पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो पूरा एश्योर्ड सम अमाउंट नॉमिनी को मिलता है। हालांकि इस पॉलिसी का प्रीमियम सबसे ज्यादा होता है।
आजीवन लाइफ इंश्योरेंस
आजीवन लाइफ इंश्योरेंस में आपको जीवनभर प्रोटेक्शन मिलता है. यानी पॉलिसी का कोई टर्म नहीं होता। पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर, नॉमिनी को बीमा का क्लेम मिलता है। अन्य लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में उम्र की एक मैक्सिमम लिमिट होती है, जो आमतौर पर 65-70 साल होती है। उसके बाद मौत होने पर नॉमिनी डेथ क्लेम नहीं ले सकता। लेकिन आजीवन लाइफ इंश्योरेंस के तहत पॉलिसीधारक की मौत 95 साल की उम्र में ही क्यों न हुई हो, नॉमिनी क्लेम कर सकता है। इस पॉलिसी का प्रीमियम काफी ज्यादा रहता है। इस पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारक के पास इंश्योर्ड सम को आंशिक रूप से विदड्रॉ करने का विकल्प रहता है। इसके अलावा वह पॉलिसी के एवज में पैसा लोन के तौर पर भी ले सकता है।
यूलिप
ये थोड़ी जोखिम वाली पॉलिसी है। क्योंकि आपका पैसा शेयर मार्केट में लगता है। इस प्लान में भी प्रोटेक्शन और निवेश दोनों रहते हैं। ट्रेडिशनल यानी एंडोमेंट इंश्योरेंस पॉलिसी और मनीबैक पॉलिसी में मिलने वाला रिटर्न एक हद तक पक्का होता है, वहीं यूलिप में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है। इसकी वजह है कि यूलिप में निवेश वाले हिस्से को बॉन्ड और शेयर में लगाया जाता है और म्यूचुअल फंड की तरह आपको यूनिट मिल जाती है। ऐसे में रिटर्न मार्केट के उतार-चढ़ाव पर बेस्ड होता है।हालांकि आप तय कर सकते हैं कि आपका कितना पैसा शेयर में लगे और कितना पैसा बॉन्ड में लगे।
रिटायरमेंट प्लान
जैसा नाम वैसा काम, इसमें पैसा लगाइए और रिटायरमेंट की टेंशन भूल जाइए। लेकिन इसमें लाइफ इंश्योरेंस कवर नहीं मिलता है। यह एक रिटायरमेंट सॉल्यूशन प्लान है। इसके तहत आप अपने रिस्क का आकलन कर एक रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं। तय की गई एक अवधि के बाद आपको या आपके बाद बेनिफीशियरी को पेंशन के तौर पर एक निश्चित रकम का भुगतान किया जाएगा। यह भुगतान मासिक, छमाही या सालाना आधार पर हो सकता है.
चाइल्ड इंश्योरेंस पॉलिसी
ये प्लान बच्चों की शिक्षा के खर्च और अन्य जरूरतों को देखते हुए डिजाइन किए गए हैं। चाइल्ड प्लान में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद एकमुश्त रकम का भुगतान किया जाता है लेकिन पॉलिसी खत्म नहीं होती है। भविष्य के सारे प्रीमियम माफ कर दिए जाते हैं और इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसीधारक की ओर से निवेश जारी रखती है। बच्चे को एक निश्चित अवधि तक पैसा मिलता है।