भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो दर को 4% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि जब तक विकास के लिए इसकी आवश्यकता होगी, तब तक उनका अकॉमडेटिव रुख रहेगा। आरबीआई के नव-गठित एमपीसी ने सर्वसम्मति से प्रमुख दरों में कोई संशोधन नहीं करने के लिए मतदान किया। RBI ने कुछ उपायों की भी घोषणा की जिससे उधार लेना आगे चल के और आसान और सस्ता हो जायेगा। इन उपायों से रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में विकास हो सकेगा जो आर्थिक गतिविधि में योगदान करती हैं। RBI ने आगे यह कहा की रियल एस्टेट सेक्टर न केवल रोजगार देता है, बल्कि अन्य इंडस्ट्रीज के विकास से भी जुड़ा हुआ है.
रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार बैंकों द्वारा दिए गए हर लोन के विरुद्ध एक रिजर्व रखना पड़ता है। लोन जितना जोखिम भरा है, यह रिजर्व उतना ही ज़्यादा होता है। सो उदाहरण के लिए मान लीजिये की किसी बैंक ने अगर 100 रुपये का लोन दिया है तो उसके विरुद्ध उन्हें अपने पास 50 रुपये रखने होंगे। ऐसा करना बैंक की सॉल्वेंसी के लिए जरूरी है। रिजर्व बैंक ने यह अनुपात कम कर दिया है ताकि बैंकों के पास ज्यादा पैसा हो लोन देने के लिए, जो की उस वक़्त जरूरी है आर्थिक गतिविधि में तेजी लाने के लिए।
जब आप कोई प्रॉपर्टी लेते हैं तो उसमे लोन-टू-वैल्यू अनुपात लागू होता है। मतलब अगर प्रॉपर्टी की कीमत 100 रुपये की है तो आपको लोन ज्यादा से ज्यादा 80 रुपये का मिलेगा। और 80 रूपए के लोन पर आपके लेनदार को 40 रुपये की राशि अलग रखनी पड़ेगी ताकि अगर आप लोन चुकाने में सक्षम नहीं रहे तो बैंक का पूरा नुक्सान नहीं होगा। पहले यह रिजर्व अनुपात लोन के मूल्य पर होता था। अब वह सिर्फ लोन-टू-वैल्यू अनुपात के हिसाब से गिना जायेगा। इससे बैंकों की तरलता बढ़ेगी और वे ज्यादा लोन दे पाएंगे। यह नियम केवल मार्च 31, 2022 तक लागू रहेगा।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)