- हाल ही में केंद्र सरकार ने अन्न योजना को सितंबर 2022 तक बढ़ाने का ऐलान किया था।
- प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सरकार जरूरतमंदों को फ्री में अनाज देती है।
- देश में COVID-19 महामारी के बीच मार्च 2020 को इस योजना की शुरुआत की गई थी।
International Monetary Fund: रेटिंग एजेंसी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मोदी सरकार (Modi Government) की सराहना की है। आइएमएफ के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कोरोना काल में जैसा काम किया है, वह काबिले तारीफ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने फूड सिक्योरिटी स्कीम, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana, PMGKAY) के माध्यम से देश को अत्यधिक गरीबी की जद में जाने से बचाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की फूड सिक्योरिटी स्कीम, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में वृद्धि को रोकने में महत्वपूर्ण रही है।
महामारी से पहले इतनी थी गरीबी
इन अनुमानों में पहली बार गरीबी और असमानता पर फूड सब्सिडी का प्रभाव शामिल है। महामारी से पहले यानी साल 2019 में अत्यधिक गरीबी 0.8 फीसदी थी और फूड ट्रांसफर्स यह सुनिश्चित करने में सहायक थे कि यह महामारी के दौरान, साल 2020 में भी इशी स्तर पर बना रहे। फूड सबसिडी के बाद असमानता का स्तर अब 0.294 है, जो साल 1993-94 के सबसे निचले स्तर से 0.284 के बेहद करीब है।
गरीबों के लिए लाभदायक रही ये सरकारी योजना
अत्यधिक गरीबी का स्तर लगातार दो सालों तक निम्न स्तर पर बना रहना। इसमें एक साल महामारी का भी शामिल है। आगे आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया कि PMGKAY भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में वृद्धि को रोकने के लिए अहम थी। कोरोना काल में गरीबों की आय और कम हो गई थी या ना के बराबर हो गई थी। प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने गरीबों को इस आय के झटके को सहने के लिए काफी हद तक मदद की है।
इस योजना में नियमित मासिक NFSA खाद्यान्न के अलावा प्रति व्यक्ति को हर महीने 5 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। सरकार ने मार्च 2020 में लगभग 80 करोड़ NFSA के लाभार्थियों को फ्री में अतिरिक्त खाद्यान्न (चावल या गेहूं) के वितरण की घोषणा की थी।