- वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर है।
- करदाताओं के लिए आईटीआर भरने के बाद 120 दिनों के अंदर इसे वेरीफाई (ITR Verification) करना भी अनिवार्य होता है।
- आप नेट बैंकिंग, डीमैट खाते, बैंक खाते, एटीएम, आदि के जरिए आईटीआर वेरीफाई कर सकते हैं।
Income Tax Return Last Date: वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर है। आईटीआर फाइल करने की ड्यू डेट पहले ही दो बार बढ़ाई जा चुकी है- पहली बार 31 जुलाई से 30 सितंबर तक और फिर 30 सितंबर से 31 दिसंबर तक। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस ड्यू डेट को और आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस बात की भी संभावना है कि सरकार आगे डेडलाइन नहीं बढ़ाएगी। इसलिए 31 दिसंबर की समय सीमा से पहले FY21 के लिए अपना ITR फाइल करने की सलाह दी जाती है।
यदि आप 31 दिसंबर की समय सीमा मिस कर देते हैं तो क्या होगा?
अगर आप 31 दिसंबर की आखिरी तारीख से पहले अपना आईटीआर दाखिल करने में विफल रहते हैं, तो आपको एक विलंबित कर रिटर्न (Belated Tax Return) दाखिल करना होगा। यह आखिरी तारीख के बाद दाखिल किया जाता है। इसे दाखिल करने के लिए आपको लेट फाइलिंग शुल्क का भुगतान करना होगा। यह वित्तीय जुर्माना निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू है। यह लेट फाइलिंग शुल्क 5,000 रुपये तक हो सकता है। हालांकि, अगर करदाता की कुल आय 5 लाख रुपये से कम है, तो जुर्माना राशि 1,000 रुपये से अधिक नहीं होगी। यदि आप विलंबित आईटीआर दाखिल कर रहे हैं, तो कर देयता पर दंडात्मक ब्याज भी लगाया जाएगा।
ITR Verification: सिर्फ ITR भरना ही नहीं, इसे वेरीफाई करना भी है जरूरी, ये हैं 5 आसान तरीके
घाटे को आगे नहीं बढ़ा सकते
अगर आप बिलेटेड आईटीआर या विलंबित आईटीआर फाइल कर रहे हैं, तो आप हाउस प्रॉपर्टी के नुकसान को छोड़कर नुकसान को आगे नहीं बढ़ा सकते। स्पेक्युलेशन व्यवसाय (जैसे इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग और डेरिवेटिव ट्रेडिंग), शॉर्ट/ लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस और अन्य स्रोतों से आय सहित व्यवसाय और पेशे से होने वाले नुकसान को करदाता द्वारा देर से रिटर्न दाखिल करने की स्थिति में आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। भले ही आपने समय पर सभी करों का भुगतान कर दिया हो, आप उपरोक्त नुकसान को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे।
1 जनवरी से देश में लागू होंगे ये बड़े बदलाव, जान लें वरना होगा नुकसान
मालूम हो कि आखिरी तिथि से पहले दाखिल किए गए आईटीआर के मामले में करदाता को आकलन वर्ष के बाद 8 आकलन वर्षों के लिए अपने शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल नुकसान को आगे बढ़ाने की अनुमति मिलती है।