- 5 से 6 हजार करोड़ रुपए कार्बन क्रेडिट को हासिल कर सकता है भारत
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने बताई प्राकृतिक खेती के फायदे और जरूरत
- एक हजार अरब डॉलर मूल्य के ग्रीन बांड बाजार तक पहुंच की है संभावना
नई दिल्ली: भारत पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देकर 50 से 60 अरब डॉलर का कार्बन क्रेडिट हासिल कर सकता है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की। कुमार ने 'एग्रोइकोलॉजी एंड रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर' पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान, कृषि को और अधिक ज्ञान आधारित बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना सुनिश्चित करने और नए अन्वेषणों को अमल में लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'हम इस तरीके से एक हजार अरब डॉलर मूल्य के ग्रीन बांड बाजार तक भी पहुंच बना सकते हैं।'
समय की जरूरत है प्राकृतिक खेती: उन्होंने कहा कि भारत को एक नवोन्मेष प्रक्रिया के रूप में कृषि विज्ञान पर काम करना होगा और परिणामों को मापने के लिए मापतंत्र को व्यापक बनाना होगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, 'अगर भारत प्राकृतिक खेती और पर्यावरण के अनुकूल पद्धतियों को बढ़ावा दे, तो उसकी 50-60 अरब डॉलर तक के कार्बन क्रेडिट को हासिल किया जा सकता है।'
कार्बन क्रेडिट पर नजर: कार्बन क्रेडिट किसी देश के लिए स्वीकृत कार्बन उत्सर्जन की सीमा है। एक कार्बन क्रेडिट का अर्थ होता है कि संबंधित देश एक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कर सकता है।
उन्होंने कहा, 'हम पुराने तौर तरीकों पर नहीं चल सकते क्योंकि यह एक अंधी गली में कार चलाने जैसा है। पर्यावरण को बचाने और किसानों के कल्याण की स्थिति में सुधार लाने के लिए हमें दिशा बदलने की आवश्यकता है।'