- इनपुट कीमतों में पांच महीने में सबसे तेज गति से वृद्धि दर्ज हुई।
- अप्रैल के आंकड़ों ने बिजनेस कॉन्फिडेंस में सुधार की ओर इशारा किया।
- इस सर्वे का उद्देश्य यह समझना है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कैसा प्रदर्शन कर रहा है।
नई दिल्ली। भारत में पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, रसोई गैस सिलेंडर, आदि की कीमत से जनता काफी परेशान है। उच्च मुद्रास्फीति के बीच अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े जारी हुए हैं। अप्रैल महीने में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में तेज वृद्धि दर्ज की गई है।
इसलिए बढ़ी गतिविधियां
इस संदर्भ में सोमवार को एक मासिक सर्वे में कहा गया कि प्रोडक्शन में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही फैक्टरी को मिलने वाले ऑर्डर भी बढ़े हैं और ग्लोबल बिक्री में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में तेज आई है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगाए गए प्रतिबंध खत्म होने के बाद से मांग बढ़ी है।
कितना हुआ मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई?
अप्रैल में मौसमी रूप से समायोजित S&P ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) बढ़कर 54.7 के स्तर पर पहुंच गया। वहीं इससे पिछवले महीने, यानी मार्च 2022 में यह आंकड़ा 54.0 था।
विस्तार को दर्शाता है 50 से ज्यादा पीएमआई
पीएमआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने लगातार 10वें महीने समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार देखा गया। मालूम हो कि अगर पीएमआई 50 से ऊपर रहता है, तो इसका मतलब होता है कि गतिविधियों में विस्तार हो रहा है। वहीं पीएमआई 50 अंक से नीचे रहने का मतलब है कि इसमें संकुचन हो रहा है।
इस संदर्भ में S&P ग्लोबल में अर्थशास्त्र की संयुक्त निदेशक Pollyanna De Lima ने कहा कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अप्रैल में पॉजिटिव बना रहा। कीमतों के दबाव से मांग प्रभावित हो सकती है। ऐशा इसलिए क्योंकि कंपनियां अपने ग्राहकों के साथ अतिरिक्त लागत बोझ साझा करना जारी रखेंगी।
रोजगार में मामूली वृद्धि
सर्वे में कहा गया है कि अप्रैल महीने के दौरान रोजगार में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। इस बीच कमोडिटी की बढ़ती कीमत, रूस-यूक्रेन युद्ध और ज्यादा ट्रांसपोर्टेशन लागत की वजह से महंगाई का दबाव तेज हो गया