नई दिल्ली : भारत LPG रिहायशी क्षेत्र बाजार में 2030 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा खाना पकाने की गैस का बाजार बन सकता है। शोध और परामर्श कंपनी वूड मैकिन्जी ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरों में तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) मांग में वृद्धि सतत रूप से जारी रहेगी। इसके सालाना संचयी रूप से 3.3% की वृद्धि के साथ 2030 तक 3.4 करोड़ टन के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है। इसका कारण परिवार की औसत आय में वृद्धि और शहरी आबादी बढ़ने के साथ दीर्घकाल में लकड़ी समेत अन्य ठोस धुआं छोड़ने वाले ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बीच सरकार निम्न आय वाले परिवार में लकड़ी और अन्य ईंधन के बजाए LPG के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये योजना चला रही है। सरकार निम्न आय वर्ग को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये LPG पर सब्सिडी मुहैया कर रही है। साथ ही गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार के लिये प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त LPG स्टोव उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
वूड मैकिन्जी के शोध विश्लेषक क्यूआई्रलिंग चेन ने कहा कि हालांकि देश भर में LPG का दायरा 98% पहुंच गया है जो 2014 के मुकाबले 42% अधिक है। लेकिन उसका उपयोग अभी भी कम है। नये कनेकशन जिस गति से दिये जा रहे हैं, उस दर से सालाना सिलिंडर को भराया नहीं जाता। औसत खपत मानक 12 सिलेंडर से नीचे बना हुआ है। सब्सिडी और शुरू में मुफ्त में LPG स्टोव उपलब्ध कराने के बावजूद LPG बायोमॉस के मुकाबले महंगी बनी हुई है।
चेन ने कहा कि यह मान लिया जाए कि सरकार लगातार घरों में इस्तेमाल होने वाले LPG पर पूरे दशक सब्सिडी देती है, तो यह 2030 तक सालाना 5.7 अरब डॉलर पहुंच सकती है। उस समय तक यह रिहायशी क्षेत्र के लिये दुनिया के सबसे बड़े बाजार के रूप में इस मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। फिलहाल चीन रिहायशी क्षेत्र के लिये दुनिया में सबसे बड़ा एलपीज मांग केंद्र है।
मैकिन्जी ने कहा कि हालांकि बुनियादी ढांचा के अभाव से छोटे शहरों में पाइप के जरिये खाना पकाने की गैस पहुंचाने में बाधा है। साथ ही खुदरा पीएनजी की कीमतें LPG की रियायती दरों के मुकाबले महंगी बनी हुई है। इससे पीएनजी 2030 से पहले तक LPG की तुलना में कम आकर्षक विकल्प है।
शोध और परामर्श कंपनी के वरिष्ठ विश्लेषक विदुर सिंघल ने कहा कि वर्ष 2020 से 2030 के दौरान पीएनजी मांग मुख्य रूप से बड़े एवं मझोले (टियर 1 और टियर 2) शहरों में होंगी। सिटी गैस कंपनियां पीएनजी कनेक्शन और संबंधित ढांचागत सुविधाएं बढ़ाएंगी। इसमें आम तौर पर निर्माण और पूर्ण रूप से वाणिज्यिक रूप से चालू होने में पांच से आठ साल का समय लगता है।
सिंघल ने कहा कि इसके अलावा, रिहायशी क्षेत्र में LPG मांग बढ़ने के साथ और सब्सिडी की जरूरत होगी। इससे सरकार के लिये बोझ बढ़ेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सब्सिडी राशि कम भी हो सकती है क्योंकि जैसे-जैसे लोगों की आय बढ़ेगी, वे बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर लेने को तरजीह देंगे। पीएनजी से जुड़ी ढांचागत सुविधा और LPG के लिये नीतिगत समर्थन में कमी से 2030 के बाद पीएनजी मांग में वृद्धि की उम्मीद है।
सिंघल ने कहा कि हमारा अनुमान है कि देश में रिहायशी क्षेत्र में पीएनजी मांग संचयी रूप से 12.7% की दर से बढ़कर 2030 तक 2.5 अरब घन मीटर हो जाएगी जो अभी 0.8 अरब घन मीटर है। वूड मैकिन्जी ने कहा कि 2030 के अंत तक देश में रिहायशी क्षेत्र में LPG की मांग देश में कुल LPG माग की 82% होगी जबकि प्राकृतिक गैस की मांग इसी क्षेत्र में कुल मांग का केवल केवल 3% होगी।