14 नवम्बर को हम बाल दिवस मनाते हैं और अपने बच्चों के भविष्य के लिए सेविंग और निवेश करने से जुड़े मामलों पर बात करने के लिए यह एक अच्छा समय है। अपने बच्चों की फाइनेंशियल जरूरतों की प्लानिंग करना एक बहुत बड़ी चुनौती का काम है। इसके लिए दूर के भविष्य को देखना पड़ता है, उन जरूरतों के लिए निवेश करना पड़ता है जिनसे आप अभी तक अनजान हैं, महंगाई को ध्यान में रखना पड़ता है, और बेहतरीन नतीजे पाने के लिए अपने प्लान पर बार-बार फिर से गौर करना पड़ता है।
इस सफर में बाकी लोगों की तरह आपसे भी कुछ गलतियाँ हो सकती हैं। आइए कुछ ऐसी गलतियों पर नजर डालते हैं जिन्हें करने से आप बच सकते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि आप कैसे अपने बच्चों के लक्ष्य को पूरा करने के रास्ते पर आराम से आगे बढ़ सकते हैं।
देर न करें
समय, पैसे से भी ज्यादा कीमती होता है। सौभाग्य से, अपने बच्चों के लिए निवेश करते समय, आपके हाथ में बहुत समय होता है, उनके जन्म के समय से लेकर उनके कॉलेज जाना शुरू करने तक, कम से कम 17 साल का समय होता है। आपको इतनी लम्बी समय सीमा का लाभ उठाना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी निवेश करना शुरू कर देना चाहिए। इससे चक्रिवृद्धि की ताकत के कारण आपके पैसे को तेजी से बढ़ने में मदद मिल सकती है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए, आपको अपने बच्चे के 17 साल का होने तक 30 लाख रु. की जरूरत है। हर महीने 5000 रु. निवेश करने पर, 12% के CAGR की कल्पना करते हुए, 17 साल में 33.3 लाख रु. जमा हो जाएंगे। लेकिन, निवेश शुरू करने में सिर्फ 5 साल की भी देर करने पर, आपको उसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर महीने 10,500 रु. निवेश करना पड़ेगा। इस तरह आप देख सकते हैं कि आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, आपका मंथली निवेश उतना कम होगा। आप जितनी देर से शरूआत करेंगे, आपके निवेश का बोझ उतना अधिक होगा।
एक फाइनेंशियल प्लानर की सलाह लें
लम्बे समय तक निवेश करने से जुड़ी कई पेचीदगियों के कारण, एक छोटे निवेशक को कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। बिना जानकारी के, आपके फाइनेंशियल टारगेट के पूरा होने की सम्भावना कम है, जिससे आपके बच्चे के भविष्य पर खतरनाक असर पड़ सकता है। इसलिए, किसी जानकार व्यक्ति, उदाहरण के लिए, एक फाइनेंशियल प्लानर से बात करना जरूरी है। इससे आपको सही निवेश साधनों का चुनाव करने, अपने जोखिम और रिटर्न को अनुकूल बनाने, अपने टैक्स को कम करने, और सही समय सीमा में अपने लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
इस बात पर ध्यान दें कि आपके बच्चे को कितने पैसे की जरूरत पड़ेगी
भविष्य के लिए सेविंग करने की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है - भविष्य में अपने बच्चे की पैसे से जुड़ी जरूरतों का सही-सही हिसाब लगाना। आपको ऊंची शिक्षा की लागत के साथ-साथ शिक्षा के खर्च में बढ़ती महंगाई की दर को ध्यान में रखने की जरूरत है जो कि लागत से संबंधित महंगाई की दर से काफी अधिक होती है।
उदाहरण के लिए, 2004 में आईआईएम कलकत्ता में दो साल का एमबीए कोर्स करने में लगभग 2.5 लाख रु. का खर्च आता था। 15 साल में, यह लगभग 16% प्रति वर्ष की दर से बढ़ते हुए 22.50 लाख रु. हो गया। इसी समय अवधि के दौरान औसत वार्षिक महंगाई लगभग 7% थी। इसलिए, अपने बच्चे के लिए कॉलेज फंड तैयार करते समय, ऐसे साधनों का चुनाव करना जरूरी है जो टैक्स कटने के बाद भी ज्यादा रिटर्न दे सके।
अपना सारा पैसा रियल एस्टेट में न लगाएं
पारंपरिक और अपरिवर्तनवादी साधनों जैसे किसी प्रॉपर्टी में बहुत ज्यादा पैसा लगाने का मन कर सकता है। लेकिन, प्रॉपर्टी में किए गए निवेश को भुनाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इसे भुनाने में कई महीने या कई साल लग सकते हैं, जिससे आपको पैसे की जरूरत पड़ने पर उसे भुनाने में काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसके अलावा, यदि यह प्रॉपर्टी एक मकान है तो आप उसे एक
फाइनेंशियल एसेट की तरह आंशिक रूप से बेच भी नहीं सकते हैं, जिसे आप तुरंत जरूरत पड़ने पर आंशिक रूप से भुना सकते हैं। यही वजह है कि अलग-अलग साधनों में निवेश करना चाहिए जो पैसे को सुरक्षित रखने और अच्छा रिटर्न देने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर उसे आसानी से भुनाने की सुविधा भी देता हो।
'सुरक्षित' निवेश, असल में जोखिम भरा हो सकता है
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, शिक्षा के खर्च से जुड़ी महंगाई काफी अधिक है। आपको ऐसा लग सकता है कि फिक्स्ड डिपोजिट, PPF या यहाँ तक कि सुकन्या समृद्धि योजना में पैसे निवेश करना काफी हो सकता है। लेकिन, इन निवेश साधनों में महंगाई का जोखिम होता है, यानी, इनकी मदद से आप शिक्षा के खर्च से जुड़ी महंगाई को मात नहीं दे पाएंगे और आप आवश्यक रकम जमा नहीं कर पाएंगे।
इसलिए आपको एक लम्बे समय के लिए निवेश करने के लिए फिक्स्ड डिपोजिट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 8% का रिटर्न देने वाला FD, टैक्स के बाद असल में सिर्फ 5.6% का रिटर्न देता है यदि आप 30% टैक्स स्लैब में आते हैं।
इसलिए, चूंकि अपने बच्चों के लिए सेविंग करना एक लम्बे समय तक चलने वाला काम है, इसलिए आपको इक्विटी में भी निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता है। उदाहरण के लिए, टॉप-रेटेड इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स में लम्बे समय तक निवेश करने पर मिलने वाला रिटर्न, छोटी-मोटी सेविंग स्कीम्स से मिलने वाले रिटर्न से अधिक होगा। अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छे निवेश मिश्रण के लिए अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से बात करें।
चाइल्ड प्लान्स से परे देखें
आज की दुनिया में, आपको निवेश और इंश्योरेंस को अलग-अलग नजरिए से देखना चाहिए, न कि उन्हें मिलाकर। चाइल्ड प्लान्स (जिसमें लाइफ इंश्योरेंस के साथ-साथ डेब्ट इन्वेस्टमेंट की सुविधा भी मिलती है) में निवेश करने से पहले, निवेशक यह नहीं सोचते कि उनके निवेश का वार्षिक रिटर्न रेट कितना होगा। आपके निवेश से कम से कम उतना रिटर्न तो मिलना ही चाहिए जितना PPF (वर्तमान में 7.9% प्रति वर्ष, जो टैक्स फ्री होता है) या सुकन्या समृद्धि (वर्तमान में 8.4% प्रति वर्ष, यह भी टैक्स फ्री है) से मिलता है।
खास तौर पर इस नजरिए से इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि ऐसे कई इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम हैं जिन्होंने 10 साल में 12% प्रति वर्ष से ज्यादा रिटर्न दिया है। यदि चाइल्ड प्लान का रिटर्न इस तरह के ऑप्शन से मिलने वाले रिटर्न की बराबरी नहीं कर सकता है और यदि समय से पहले पैसे निकालने पर या उन्हें बंद करने पर कोई पेनाल्टी लगती है तो आपको उसमें निवेश नहीं करना चाहिए।
पर्याप्त इंश्योरेंस लें
अंत में, अच्छी तरह देख लें कि आपके परिवार के पास, तरह-तरह के जोखिमों का सामना करने के लिए पर्याप्त इंश्योरेंस कवरेज है। आश्रित बच्चों वाले व्यक्ति को एक ऐसा टर्म प्लान लेकर रखना चाहिए जिसका इंश्योरेंस अमाउंट उसकी मौजूदा वार्षिक आमदनी का कम से कम 20 गुना होना चाहिए, या यदि उसके परिवार के फाइनेंशियल जोखिम अधिक हैं तो उसका इंश्योरेंस अमाउंट इससे भी ज्यादा होना चाहिए।
इसके अलावा आपको अपने परिवार के सभी सदस्यों के लिए पर्याप्त हेल्थ कवर भी लेकर रखना चाहिए। इस तरह का कवरेज लेकर रखने से, आपकी असमय मौत होने पर या कोई मेडिकल प्रॉब्लम होने पर, आपके बच्चों के लिए आपके फाइनेंशियल प्लान पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।
अंत में, अपने बच्चों के लिए निवेश को अपने अन्य जरूरी निवेश, जैसे अपना रिटायरमेंट फंड तैयार करने के लिए किए जाने वाले निवेश, के साथ मिक्स न करें। अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद से एक लम्बे समय वाला प्लान तैयार करें जिससे आपको अपने वर्तमान फाइनेंस पर बहुत ज्यादा दबाव डाले बिना अपने सभी भावी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिल सके।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।)