- रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने रेपो रेट को लेकर अनुमान जताया है।
- अगस्त 2018 के बाद पहली बार आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है।
- रेपो रेट बढ़ने से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं।
नई दिल्ली। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इससे भारतीयों का जीवन और भी महंगा हो गया है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पहले मई 2014 में यह आंकड़ा 8.33 फीसदी था।
महंगाई को रोकने के लिए आरबीआई ने उठाया बड़ा कदम
महंगाई को रोकने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हर संभव प्रयास कर रहे हैं। 4 मई 2022 को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बड़ी घोषणा की थी। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 40 बीपीएस बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया है। देश में लगातार बढ़ती महंगाई के मद्देनजर मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया।
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और बढ़ सकती है ब्याज दर
हाल ही में पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी लिमिटेड ने होम लोन की ब्याज दर बढ़ा दी थी। अब रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में रेपो रेट में एक फीसदी की वृद्धि और हो सकती है। क्रिसिल की रिसर्च युनिट ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए औसत सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 6.3 फीसदी पहुंच सकती है। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से भी ज्यादा है।
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इस संदर्भ में क्रिसिल ने कहा कि, 'वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई व्यापक हो सकती है। इससे खाने की वस्तुओं, तेल के दाम, आदि और बढ़ सकते हैं। इसलिए अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष में रेपो रेट में 0.75 फीसदी से 1 फीसदी की और बढ़ोतरी कर सकता है।'