- डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लेनदेन के संबंधन में आरबीआई की तरफ से गाइडलाइंस जारी
- ग्राहकों की सुरक्षा के मद्देनजर नियमों में किए गए बड़े बदलाव
- ग्राहक अब हर रोज भुगतान की लिमिट को कर सकते हैं तय
नई दिल्ली। डेबिट और क्रेडिट कार्ड को प्लास्टिक मनी के तौर पर भी जाना जाता है। अगर आपके पास कैश नहीं भी तो चिंता की बात नहीं। हर समय आप बिना किसी कैश के पास आपकी जेब इन दोनों तरह के कार्ड से भरी होती है। लेकिन 16 मार्च से जो नियम कायदे लागू थे अब उनमें बदलाव हुआ है और इसके पीछे ग्राहकों की सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया है।
आरबीआई की तरफ से खास निर्देश जारी
आरबीआई की तरफ से क्रेडिट और डेबिट कार्ड के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं जिन्हें हम कुछ खास बिंदुओं के जरिए समझने और समझाने की कोशिश करेंगे। बैंकों को आरबीआई की तरफ से स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किया गया है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड को जारी या दोबारा जारी करने वक्त सिर्फ देश में एटीएम और प्वाइंट ऑफ सेल टर्मिनल्स पर लेनदेन के लिए एक्टिवेट करें। इसका अर्थ यह है कि ग्राहक अब डेबिट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल पीओएस और एटीएम पर कर सकेंगे।
विदेशों में इस्तेमाल के लिए अलग से लेनी होगी सुविधा
अगर कोई ग्राहक विदेश में लेनदेन, ऑनलाइन लेनदेन की सेवा चाहता है तो उसके लिए अलग से सुविधा लेनी होगी। जिन लोगों के पास अभी कार्ड है वो लोग जोखिम के आधार पर तय करेंगे कि वे अपने घरेलू और इंटरनेशनल कार्ड के ट्रांजैक्शन को डिसेबल करना चाहते हैं या नहीं। इसका अर्थ यह है कि अगर ग्राहक चाहें तो वो तो अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड पर इन सुविधाओं को डिसेबल भी कर सकते हैं।
16 मार्च से पहले कम से कम एक बार डेबिट क्रेडिट कार्ड का यूज था जरूरी
अगर आपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड से 16 मार्च 2020 तक ऑनलाइन या कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन नहीं किया तो यह सुविधा अपने आप में बंद हो जाएगी।इस सुविधा को जारी रखने के लिए जरूरी है कि हर डेबिट और क्रेडिट कार्ड से 16 मार्च से पहले कम से कम एक बार ऑनलाइन और कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन हुआ हो। रिजर्व बैंक की तरफ से 15 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी किया गया था।
ग्राहक 24X7 दिन कार्ड को ऑन ऑफ कर सकते हैं
ग्राहक चौबीसों घंटे सातों दिन किसी भी समय अपने कार्ड को ऑन/ऑफ कर सकते हैं या ट्रांजैक्शंस लिमिट में बदलाव कर सकते हैं। इसके लिए वे मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग या एटीएम या आईवीआर का सहारा ले सकते हैं। बैंकों को कार्डधारक को पीओएस, एटीएम, ऑनलाइन लेनदेन या उसकी सीमा में दोनों के लिए ही बदलाव करने की सुविधा देनी होगी।