- एंड्यूरेंस इंटरनेशनल ग्रुप द्वारा किए गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है
- 60 प्रतिशत MSME का मानना है कि कारोबार सामान्य होने में 6 महीने तक का समय लगेगा
- 36 प्रतिशत MSME का कहना था कि वे सरकार से शून्य ब्याज पर या सस्ता कर्ज चाहते हैं
नई दिल्ली : कोविड-19 संकट की वजह से कई सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (MSME) को अपना कारोबार बंद करना पड़ा है। एंड्यूरेंस इंटरनेशनल ग्रुप द्वारा किए गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। इस सर्वे में जून के पहले दो सप्ताह में करीब 500 भारतीय MSME इकाइयों के विचार लिए गए। इनमें से एक-तिहाई MSME ने इस बात की पुष्टि की कि स्थिति सामान्य होने तक उन्होंने अस्थायी तौर पर अपना कारोबार बंद कर दिया है।
सर्वे में कहा गया है कि मुख्य रूप से महानगरों तथा खुदरा और विनिर्माण क्षेत्र के MSME का कारोबार कोविड-19 संकट की वजह से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। ज्यादातर यानी करीब 60 प्रतिशत MSME का मानना है कि कारोबार सामान्य होने में छह महीने तक का समय लगेगा।
इस संकट से बाहर निकलने के लिए MSME क्षेत्र सरकार से मदद चाहता है। सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत MSME ने कहा कि वे सरकार से कर रियायत या पूरी तरह कर मुक्ति की उम्मीद कर रहे हैं। 36 प्रतिशत MSME का कहना था कि वे सरकार से शून्य ब्याज पर या सस्ता कर्ज चाहते हैं।
कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते 30 प्रतिशत MSME ने बिजनेस वेबसाइट या ई-कॉमर्स सुविधा शुरू की है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े MSME द्वारा डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल में सबसे अधिक उछाल आया है।
सर्वे में एक और खास बात यह सामने आई है कि लॉकडाउन के दौरान ई-कॉमर्स के जरिये कामकाज करने वाले MSME के कुल राजस्व में इसका हिस्सा बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। खुदरा और शिक्षा क्षेत्र के राजस्व में ई-कॉमर्स का हिस्सा बढ़कर क्रमश: 53 और 65 प्रतिशत हो गया है।