नई दिल्ली : सरकार ने भविष्य निधि पर ब्याज को टैक्स फ्री रखने के संबंध में कर्मचारी के अधिकतम वार्षिक योगदान की सीमा को ढाई लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि भविष्य निधि कोष (पीएफ) में कर्मचारी के सालाना पांच लाख रुपये तक के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर कर नहीं लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2021 को संसद में पेश 2021- 22 के बजट में घोषणा की थी कि एक अप्रैल 2021 से शुरू होने वाले नये वित्त वर्ष में कर्मचारियों के पीएफ में सालाना ढाई लाख रुपये से अधिक के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर कर लगाया जायेगा। इसके लिए गणना में नियोक्ता की ओर से किए जाने वाले अंशदान को शामिल नहीं किया गया था।
सीतारमण ने वित्त विधेयक 2021 में लोकसभा में हुई चर्चा का उत्तर देते हुये मंगलवार को पीएफ में होने वाली जमा की कर मुक्त ब्याज की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह बढ़ी सीमा योगदान पर लागू होगी जहां नियोक्ता की ओर से इस कोष में योगदान नहीं हो।
पांच लाख रुपये तक के योगदान में नियोक्ता का योगदान शामिल नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि मेरी मंशा इस सीमा को केवल ऐसे पीएफ योगदान में बढ़ाने की है जहां कोष में नियोक्ता का योगदान नहीं है। यह रियायत ऐसे मामलों में है कि पांच लाख रुपये तक के योगदान में नियोक्ता का योगदान शामिल नहीं हैं क्योकि नियोक्ता का योगदान कर्मचारी के मूल वेतन के 12 प्रतिशत तक ही सीमित है। सीतारमण के जवाब के बाद सदन ने वित्त विधेयक 2021 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही लोकसभा में बजट 2021- 22 पारित करने की प्रक्रिया पूरी हो गई। वित्त विधेयक के संसद से पारित होने पर 2021-22 के लिये किये गये कर प्रावधानों को मंजूरी मिल जाती है। विधेयक को उसमें प्रस्तावित विधानों के लिये 127 संशोधनों को स्वीकार करने के बाद पारित किया गया।
पीएफ ब्याज पर लगने वाला टैक्स का असर सिर्फ 1 प्रतिशत पर
वित्त मंत्री ने कहा कि भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज पर लगाये गये कर प्रस्ताव से केवल 1 प्रतिशत भविष्य निधि खाताधारकों पर ही असर पड़ेगा। अन्य खाताधारकों पर इस कर प्रस्ताव का कोई असर नहीं होगा क्योंकि उनका सालाना पीएफ योगदान ढाई लाख रुपये से कम है। सीतारमण ने कहा कि आम तौर पर भविष्य निधि कोष में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान होता है, लेकिन इसमें ऐसा योगदान भी होता है जो केवल कर्मचारी की तरफ से होता है, उसमें नियोक्ता का हिस्सा नहीं होता है।
नया प्रावधान 1 अप्रैल से होगा लागू
यह नया प्रावधान 1 अप्रैल से अमल में आ जाएगा। कर्मचारी भविष्य निधि कोष संगठन (ईपीएफओ) में करीब छह करोड़ अंशधारक हैं। सदस्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल पर ऊंची कर दरों के बारे में उठाये गये मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि वह पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के मुद्दे पर जीएसटी परिषद की अगली बैठक में चर्चा करना पसंद करेगी। उन्होंने सदस्यों को याद दिलाया कि केवल केन्द्र सरकार ही वाहनों के ईंधनों पर कर नहीं लगाती है। राज्य सरकारें भी पेट्रोल, डीजल पर वैट लगाती हैं।
विनिवेश के बारे में सीतारमण ने उम्मीद जताई कि अगले वित्त वर्ष के लिये तय किये गये लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी जिस तरह से बाजार में गतिविधियां तेज रही उसे देखते हुये उम्मीद है कि विनिवेश लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा। सरकार ने वित्त वर्ष 2021- 22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुआने का लक्ष्य रखा है।
वित्त मंत्री ने चर्चा का उत्तर देते हुये यह भी कहा कि घरेलू कारोबारियों खासतौर से एमएसएमई श्रेणी के उद्यमों की सुविधा के लिये सीमा शुल्क ढांचे को तर्क संगत बनाया जायेगा। करों के मामले में उनहोंने कहा कि कर आधार को व्यापक बनाया जायेगा। समानीकरण शुल्क के बारे में सीतारमण ने कहा कि इससे घरेलू व्यवसायों जो भारत में कर का भुगतान करते हैं उनके लिये परिस्थितियां समान बनेंगी।