- अब 30 सितंबर तक पैन और आधार कार्ड को लिंक किया जा सकता है।
- करदाताओं की मुश्किलों को ध्यान में रख कर केंद्र सरकार का फैसला
- कोविड पीड़ित परिवारों को डोनेट करने वालों को मिलेगा कर छूट
सरकार ने शुक्रवार को करदाताओं के लिए विभिन्न राहत उपायों की घोषणा की जिसमें पैन और आधार को 30 जून से 30 सितंबर तक जोड़ने की सुविधा दी है। यदि आप पैन और आधार को लिंक करने में विफल रहते हैं तो आपका पैन अमान्य हो जाता है।धारा 139AA के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपने आयकर रिटर्न और पैन के आवंटन के लिए आवेदन में आधार संख्या का उल्लेख करना अनिवार्य है बशर्ते वे आधार प्राप्त करने के योग्य हों।
पहले 30 जून तक थी समयसीमा
केंद्र सरकार ने करदाताओं की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए आधार संख्या की सूचना देने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 जून, 2021 करने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी।इसके अलावा, करदाताओं के लाभ के लिए कुछ अन्य घोषणाएं की गई हैं।वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में उल्लेख किया गया है कि कई करदाताओं को अपने नियोक्ताओं और शुभचिंतकों से कोविड-19 के इलाज पर होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए वित्तीय मदद मिली है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस खाते पर कोई आयकर देनदारी नहीं बनती है, यह निर्णय लिया गया है। वित्त वर्ष 2019-20 और उसके बाद के वर्षों के दौरान नियोक्ता या किसी व्यक्ति से कोविड-19 के इलाज के लिए चिकित्सा उपचार के लिए करदाता द्वारा प्राप्त राशि पर आयकर छूट प्रदान करना शामिल है
कोविड पीड़ितों को मदद करने वालों को कर में छूट
कोविड -19 के कारण जान गंवाने वाले करदाताओं के परिवार के सदस्यों को राहत प्रदान करने के लिए वित्त मंत्रालय ने किसी व्यक्ति के परिवार के सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्ति के नियोक्ता से या अन्य से प्राप्त अनुग्रह भुगतान पर आयकर छूट प्रदान करने का निर्णय लिया है। वित्तीय वर्ष 2019-20 और उसके बाद के वर्षों के दौरान कोविड-19 के कारण व्यक्ति की मृत्यु पर व्यक्ति।
जानकार कहते है कि इस घोषणा से कोविड राहत के लाभार्थियों को महत्वपूर्ण राहत मिली है। करदाता को कोविड के इलाज के लिए मिलने वाली कोई भी वित्तीय सहायता पूरी तरह से कर मुक्त होगी। इसके अलावा, कोविड के कारण किसी कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में एक नियोक्ता द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता पूरी तरह से छूट है दूसरों से प्राप्त सहायता पर कुल रु. 10 लाख। ये लाभ वित्त वर्ष 2019-20 और उसके बाद के लिए उपलब्ध हैं।