- केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पीएम फॉरमलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइसेस (पीएम एफएमई) योजना की शुरुआत की
- पीएम एफएमई योजना से 35000 करोड़ रुपये का कुल निवेश होगा
- 8 लाख यूनिट्स को लाभ होगा, 9 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा
PM FME Yojana : कोरोना वायरस की वजह से पटरी उतर अर्थव्यवस्था को फिर पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्म निर्भर भारत फैकेज का ऐलान किया था। इसी आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाते हुए फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने सोमवार (29 जून 2020) को पीएम फॉरमलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएम एफएमई) योजना लॉन्च की। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योजना से कुल 35,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा और 9 लाख स्किल्ड और सेमी स्किल्ड रोजगार सृजित होंगे। सूचना, ट्रेनिंग, बेहतर प्रदर्शन और फॉर्मलिटी तक पहुंच के जरिये 8 लाख यूनिट्स को लाभ होगा। इस अवसर पर योजना के गाइडलाइंस जारी किए गए।
फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री मंत्री ने कहा कि करीब 25 लाख यूनिट्स वाले अनऑर्गनाइज्ड फूड प्रोसेसिंग सेक्टर, रोजगार में 74% योगदान देते हैं। इनमें से करीब 66% यूनिट्स ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और उनमें से करीब 80% परिवार-आधारित उद्यम हैं जो ग्रामीण परिवारों की आजीविका में सहायता करते हैं और शहरी क्षेत्रों में कम से कम पलायन करते करते हैं। ये यूनिट्स मोटे तौर पर सूक्ष्म उद्यमों की कैटेगरी में आती हैं।
पीएम एफएमई योजना की डिटेल
मौजूदामाइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज के अपग्रेड के लिए वित्तीय, टैक्नोलॉजी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री मंत्रालय (एमओएफपीआई) ने अखिल भारतीय स्तर पर एक केन्द्र प्रायोजित पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोससिंग एंटरप्राइज (पीएम एफएमई) योजना की शुरुआत की जिसे 10,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 2020-21 से 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत खर्च केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के साथ 90:10 के अनुपात में, संघ शासित प्रदेशों के साथ 60:40 के अनुपात में और अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए केन्द्र द्वारा 100% शेयर किया जाएगा।
अपनी माइक्रो फूड प्रोसेसिंग यूनिट को आगे बढ़ाने की चाहत रखने वाले परियोजना लागत का 35% क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं जिसकी अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए प्रति यूनिट है। परियोजना शुरू करने के लिए आवंटित पूंजी 40,000 रुपए प्रति स्वयं सहायता समूह सदस्य कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिए प्रदान की जाएगी। एफपीओ / एसएचजी / निर्माता सहकारी समितियों को मूल्य सीरीज के साथ पूंजी निवेश के लिए 35 प्रतिशत का क्रेडिट लिंक्ड अनुदान प्रदान किया जाएगा।
ये प्रोडक्ट्स हैं लिस्ट में
इस योजना में राज्य मौजूदा समूहों और कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए एक जिले के लिए फूट प्रोडक्ट की पहचान करेंगे। ऐसे प्रोडक्ट्स की लिस्ट में आम, आलू, लीची, टमाटर, साबूदाना, कीनू, भुजिया, पेठा, पापड़, अचार, बाजरा आधारित उत्पाद, मछली पालन, मुर्गी पालन, मांस के साथ-साथ पशु चारा भी शामिल है। ओडीओपी प्रोडक्ट्स का उत्पादन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, अन्य प्रोडक्ट्स का उत्पादन करने वाली यूनिट्स को भी सहायता दी जाएगी। ओडीओपी उत्पादों के लिए सामान्य बुनियादी ढांचा और ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए सहयोग दिया जाएगा। इस योजना में कचरे वाले प्रोडक्ट्स, छोटे वन प्रोडक्ट्स और एस्पिरेशनल जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के महत्व पर पीएम ने दिया जोर
पीएम मोदी ने 12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के महत्व और उनकी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा था कि संकट के समय में, इस स्थानीय ने हमारी मांग को पूरा किया है, इस स्थानीय ने हमें बचाया है। स्थानीय सिर्फ जरूरत नहीं है, यह हमारी जिम्मेदारी भी है। समय ने हमें सिखाया है कि हमें स्थानीय को अपने जीवन का मंत्र बना लेना चाहिए। आज आप जिस ग्लोबल ब्रांड्स को महसूस कर रहे हैं, वह कभी इसी तरह बेहद स्थानीय थे। लेकिन जब लोगों ने उनका उपयोग करना शुरू किया, उन्हें बढ़ावा देना शुरू किया, उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व करने लगे, वे स्थानीय उत्पादों से ग्लोबल बन गए। इसलिए, आज से प्रत्येक भारतीय को अपने स्थानीय के लिए मुखर बनना होगा, न केवल स्थानीय उत्पादों को खरीदने के लिए, बल्कि उन्हें गर्व से बढ़ावा देने के लिए भी। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है।