- सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण कर सकती है।
- 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है।
- सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
Public Bank Privatisation: केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण (Privatisation) का रास्ता आसान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार के निजीकरण के लिए निर्धारित दो सरकारी बैंकों (Public Bank) में न्यूनतम हिस्सेदारी घटाकर 26 फीसदी कर सकती है।
सरकार बैंकों के निजीकरण के लिए जरूरी बदलाव करने के लिए संसद (Parliament) के आगामी शीतकालीन सत्र (Winter Session) में एक विधेयक पेश कर सकती है। पहले बताया गया था कि सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) ने विनिवेश के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) को शॉर्टलिस्ट किया है। इस मामले में आधिकारिक घोषणा का इंतजार है।
इस संदर्भ में एक सरकारी अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए आवश्यक नियामकीय मंजूरी शीतकालीन सत्र के दौरान दी जाएगी, लेकिन कम से कम कुछ वर्षों के लिए कुछ हिस्सेदारी बनाई रखी जाएगी और बाद के चरण में हिस्सेदारी कम की जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के स्वामित्व वाली भारी उपकरण निर्माता बीईएमएल लिमिटेड (BEML Limited) के लिए भी इसी तरह के दृष्टिकोण का पालन करने की संभावना है, जिसमें सरकार प्रबंधन नियंत्रण के साथ अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी छोड़ रही है।
बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 (Banking Law Amendment Bill 2021) बैंकिंग कंपनी अधिग्रहण और उपक्रमों के हस्तांतरण अधिनियम, 1970 और 1980 में उचित बदलाव की मांग करेगा। साथ ही दो बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री की सुविधा के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में आकस्मिक संशोधन करेगा।
वित्त मंत्री ने की थी घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2021 में बजट भाषण के दौरान विनिवेश अभियान के रूप में दो सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के सरकार के फैसले की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि, आईडीबीआई बैंक के अलावा, हम दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा का निजीकरण करने का प्रस्ताव करते हैं।'