- आर्थिक वृद्धि को लेकर परिदृश्य सकारात्मक हुआ
- अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
- मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के संतोषजनक दायरे में आ गई है
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार (05 फरवरी) को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा कि प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया, रेपो रेट 4 प्रतिशत पर बरकरार है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिये मौद्रिक नीति में उदार रुख को बरकरार रखा गया है। अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के संतोषजनक दायरे में आ गई है। आर्थिक वृद्धि को लेकर परिदृश्य सकारात्मक हुआ है, पुनरूद्धार के संकेत मजबूत हुए हैं। सब्जियों के दाम निकट भविष्य में नरम रहने की उम्मीद, 2020-21 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति संशोधित किया गया है, इसके 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
केंद्रीय बैंक ने नीतिगत उदार रुख को बनाए रखा है। जिसका मतलब है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने के लिए नीतिगर दर में कटौती की जा सकती है। रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर ही रखी गई। रेपो वह दर है जिसपर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन का उधार देता है। रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक अपना जमा राशि केंद्रीय बैंक के पास रखते हैं। यह लगातार चौथी बार है जब एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सरकार आरबीआई के लिए महंगाई दर के लक्ष्य की समीक्षा मार्च 2021 तक करेगी, मुद्रास्फीति के लक्ष्य की व्यवस्था ने अच्छा काम किया है। मौद्रिक नीति के अनुरूप नकदी प्रबंधन को लेकर रुख उदार बना हुआ है। रिजर्व बैंक सुनिश्चित करेगा कि सरकार का बाजार से उधार जुटाने का कार्यक्रम बिना व्यवधान के आगे बढ़े। रिजर्व बैंक ने धीरे-धीरे 27 मार्च 2021 तक बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 3.5 प्रतिशत पर वापस लाने का फैसला लिया। नकद आरक्षित अनुपात को क्रमिक तौर पर 27 मई 2021 तक वापस 4 प्रतिशत पर लाया जाएगा।
गौर हो कि पिछली तीन मौद्रिक समीक्षा बैठकों में एमपीसी ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। अभी रेपो दर 4 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर है। वहीं रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई, 2020 में नीतिगत दरों संशोधन किया था। उस समय मांग को प्रोत्साहन के लिए केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक का इंतजार किए बिना ही दरों में कटौती की थी। केंद्रीय बैंक पिछले साल फरवरी से रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती की चुका है।
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की यह 27वीं बैठक थी। इसमें तीन बाहरी सदस्य आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शशांक भिडे हैं। समिति की यह तीन दिवसीय बैठक तीन फरवरी को शुरू हुई थी।