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Monetary Review : मौद्रिक समीक्षा की घोषणा 1 अक्टूबर को, ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगा RBI- एक्सपर्ट्स

Updated Sep 28, 2020 | 12:05 IST

खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी की वजह से आरबीआई इस बार मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में शायद ही बदलाव करेगा।

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भारतीय रिजर्व बैंक
मुख्य बातें
  • मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक 29 सितंबर को शुरू होगी
  • बैठक के नतीजों की घोषणा एक अक्टूबर को की जाएगी
  • फरवरी से आरबीआई नीतिगत दरों में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है

नई दिल्ली : खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखेगा। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। विशेषज्ञों का कहना कि आपूर्ति पक्ष संबंधी मुद्दों की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है, जिसके मद्देनजर केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में बदलाव की संभावना कम है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इससे पहले कहा था कि आगे और मौद्रिक कार्रवाई की गुंजाइश है, लेकिन हमें अपने ‘हथियारों’ का इस्तेमाल समझदारी से करना होगा।

गवर्नर की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक 29 सितंबर को शुरू होगी। बैठक के नतीजों की घोषणा एक अक्टूबर को की जाएगी। अगस्त में एमपीसी की पिछली बैठक में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति में वृद्धि को रोकने के लिए नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया था। हाल के समय में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत को पार कर गई। उस समय रिजर्व बैंक ने कहा था कि महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी कमजोर है। फरवरी से रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि रिजर्व बैंक को अपने नरम रुख को जारी रखना चाहिए। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़ने की वजह से अभी केंद्रीय बैंक को दरों में कटौती से बचना चाहिए। वृद्धि को समर्थन महत्वपूर्ण है, लेकिन रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति में कुछ कमी आने का इंतजार करना चाहिए। इसी तरह की राय जताते हुए उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में गिरावट के मद्देनजर रिजर्व बैंक को अपने नरम रुख को जारी रखना चाहिए।

यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा कि रिजर्व बैंक यथास्थिति बरकरार रखेगा। मुद्रास्फीति इतनी ऊंची होने की वजह से मुझे इस बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं दिखती। उन्होंन कहा कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है, लेकिन यह फरवरी से पहले नहीं होगा। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति मामूली घटकर 6.69 प्रतिशत रही है। जुलाई में यह 6.73 प्रतिशत पर थी।

इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सितंबर में मुद्रास्फीति और बढ़ेगी। उसके बाद अगले कुछ महीनों तक यह नीचे रहेगी। नायर ने कहा कि हमारा अनुमान है कि रिजर्व बैंक इस बार ब्याय दरों को यथावत रखेगा। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि रिजर्व बैंक के रुख, रेपो दर या सीआरआर में कोई बदलाव नहीं होगा।

एनारॉक प्रापर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि इस सप्ताह एमपीसी के समक्ष ब्याज दरें घटाने या यथावत रखने को लेकर असमंजस रहेगा। उन्होंने कहा कि इस साल महामारी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट आएगी। ऐसे में निश्चित रूप से ऐसी उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि ब्याज दरों में कटौती होगी।

छोटे एमएसएमई उपक्रमों की जरूरतों को पूरा करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के सह-संस्थापक और सह-सीईओ मयूर मोदी ने कहा कि प्रणाली में नकदी की स्थिति को देखते हुए उन्हें नहीं लगता कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में बदलाव करेगा।

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