कोरोनावायरस के कहर ने देश की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया, उद्योग धंधों से लेकर बड़े-बड़े सेक्टरों पर इसकी मार पड़ी, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए और देश को बहुत अधिक आर्थिक तौर पर नुकसान भी पहुंचा, बढ़ती बेरोजगारी और वेतन में कटौती से कई सेक्टरों पर इसकी मार बहुत ज्यादा देखी गई। इसमें से ही एक रियल्टी सेक्टर भी है, रियल्टी सेक्टर अभी तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है लेकिन अब नए साल में इस सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। इस बात के पीछे कई वाजिब फैक्टर भी हैं, इनमें स्टाम्प ड्यूटी में कमी, सस्ता होम लोन, आकर्षक ऑफर के साथ बेहतर लिक्विडिटी और बिल्डर तरफ से स्टाम्प ड्यूटी पर छूट आदि शामिल हैं।
आंकडे़ बता रहे हैं कि साल 2020 के नवबंर माह में इस सेक्टर ने अच्छा किया दरअसल ये महीना फेस्टिव मंथ माना जाता है, नवंबर में रियल्टी सेक्टर की बिक्री के आंकड़े बेहद अच्छे रहे हैं।
बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक की तरफ से मिले संकेतों से व्यापार और निवेश के लिए ब्याज दर और लिक्विडिटी के मध्यम अवधि में बेहतर बने रहने की संभावना है।अगले कुछ महीनों में पूरे देश में रियल्टी सेक्टर की सेल्स बढ़ सकती है, खास कर टीयर 2 शहरों में इसकी ज्यादा संभावना दिखाई दे रही है।
माना जा रहा है कि देश में अनलॉकिंग और इकोनॉमी में तेजी से इंडियन रियल्टी सेक्टर के लिए आगे हाई ग्रोथ हो सकती है. इससे 2021 में रियल्टी सेक्टर की बिक्री बढ़ने की संभावना है।
वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये कॉरपोरेट कर की दरें घटाने के साथ ही सितंबर में अटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिये वैकल्पिक निवेश कोष के गठन की घोषणा की थी जिसे अच्छा कदम माना गया।
नबंवर 2020 में केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत 3.0 के जरिए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई तरह के उपायों का ऐलान किया इसमें रियल एस्टेट के लिए भी बड़ा ऐलान किया गया।
रियल एस्टेट उद्योग का मानना है कि इनकम टैक्स के नियमों में राहत के बाद नकदी संकट का सामना कर रही कंपनियां बिना बिके मकानों को निकालने के लिये कीमतें कम कर सकती हैं, सरकार का मकसद बिल्डरों को बिना बिके मकानों को निकालने में मदद करना है बताया जाता है कि ऐसे खाली पड़े मकानों की संख्या 7-8 शहरों में करीब सात लाख है।