- आईटीआर को बहुत ही अधिक सावधानी के साथ फाइल करना चाहिए।
- अर्जित आय और अदा किए टैक्स के बीच त्रुटियों और अंतर से नोटिस मिल सकता है।
- भिन्न-भिन्न प्रकार के टैक्स नोटिस होते हैं जो आपको मिल सकते हैं।
आयकर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) को फाइल करने की तारीख बढ़ाकर 30 सितम्बर 2021 कर दी है। आपको अपनी आईटीआर को बहुत ही अधिक सावधानी के साथ फाइल करना चाहिए क्योंकि अर्जित आय और अदा किए टैक्स के बीच त्रुटियों और अंतर के कारण आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। हालांकि कोई भी टैक्स नोटिस प्राप्त करना नहीं चाहता है, लेकिन यदि आपको कोई नोटिस मिलता है तो घबराएं नहीं। सावधानी के साथ नोटिस का जबाव देने की कोशिश करें। भिन्न-भिन्न प्रकार के टैक्स नोटिस होते हैं जो आपको मिल सकते हैं। इस लेख में, हम टैक्स नोटिस के कारणों और ऐसी स्थिति में आपके द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में चर्चा करेंगे।
143(1) (i) के तहत आईटीआर को फाइल करने में देरी के लिए नोटिस
यदि आपकी टैक्स योग्य आय है और आप अंतिम तिथि तक आईटीआर फाइल नहीं करते हैं, तो आपको आयकर विभाग से अपनी रिटर्न को फाइल करने का नोटिस मिल सकता है। यदि आपने पहले ही रिटर्न फाइल कर दी है, तो अपर्याप्त जानकारी के लिए या यदि निर्धारण अधिकारी अधिक जानकारी या दस्तावेज चाहते है तो आपको नोटिस मिल सकता है। आपको, जैसा कि इस धारा के तहत बताया गया है, जुर्माने और मुकदमें या दोनों से बचने के लिए नोटिस में तय तारीख तक उत्तर ज़रूर देना चाहिए।
इक्विटी से दीर्घकालिक पूंजी लाभ (एलटीसीजी) के बारे में गलत रिपोर्टिंग करना
शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में किसी एक वित्तीय वर्ष के दौरान 1 लाख रूपये से अधिक के दीर्घकालिक पूंजी लाभ (एलटीसीजी) पर 10% की दर से कर लगाया जाता है। मूल्यांकन के दौरान, यदि निर्धारण अधिकारी को कोई त्रुटियां या टैक्स शॉर्टफॉल नज़र आता है, तो आपको कर विभाग नोटिस भेज सकता है जिसमें शॉर्टफॉल पर कर या धारा 270A के तहत जुर्माने की अदायगी के लिए कहा जा सकता है। एलटीसीजी के संबंधित नोटिस से बचने के लिए, आपके लिए अच्छा रहेगा कि आप अपने ब्रोकर से स्टेटमेंट प्राप्त कर लें जिसमें स्पष्ट रूप से आपके अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजी लाभ को बताया जाता है। इसी तरह से, संबंधित म्यूचुअल फंड कम्पनी से म्यूचुअल फंड्स पर एलटीसीजी के लिए स्टेटमेंट प्राप्त कर लें। आपको अपनी आईटीआर में इसका उल्लेख करने से पहले हर डिटेल (विवरण) और कैल्कुलेशन को मिलान (मैच) करना चाहिए।
टीडीएस और 26AS को मैच न करना
अपनी आईटीआर को फाइल करते समय, यह तय कर लें कि टीडीएस के रूप में बताई राशि, फार्म 26 AS, फार्म 16/ फार्म 16 A में बताई गई राशि से मेल खाती है। कई बार, ऐसा हो सकता है कि यह राशि मेल नहीं खा सकती है, लेकिन आपको इसके स्पष्टीकरण के लिए तैयार रहना चाहिए। बेमेल (मिसमैच) का पता लगने पर, कर विभाग आपको धारा 143(1) के अंतर्गत नोटिस भेजता है। आप पर्याप्त सावधानी बरत कर आसानी से इस नोटिस से बच सकते हैं जैसे 26 AS, फार्म 16 तथा जो टीडीएस राशि आप आईटीआर में फाइल करने जा रहे हैं उसको मैच कर सकते हैं। यदि डिडक्टर द्वारा सही टीडीएस नहीं बताया जाता है, तो करदाता को डिडक्टर से संपर्क करके इसे ठीक करवा लेना चाहिए।
दोषपूर्ण रिटर्न फाइल करने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 (9) के तहत नोटिस
दोषपूर्ण रिटर्न फाइल करने पर, आयकर विभाग धारा 139(9) के अंतर्गत नोटिस भेजता है और उत्तर देने के लिए 15 दिन (इस नोटिस को प्राप्त करने की तारीख से) का समय देता है। आप कर विभाग द्वारा इस संबंध में आगे कोई कार्रवाई किए जाने से बचने के लिए रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं और नोटिस के उत्तर में 15 दिनों में इसकी सूचना दे सकते हैं। दोषपूर्ण रिटर्न उस समय होती है जब आप गलत फार्म में रिटर्न फाइल करते हैं। तय कर लें कि आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करते समय सही फार्म को चुनते हैं।
सही आय न बताने के लिए धारा 148 के तहत नोटिस
जब निर्धारण अधिकारी को यह संदेह होता है कि आपने सही आय नहीं बताई है, जिसकी वजह से टैक्स कम अदा किया गया है, तो कर विभाग आपको धारा 148 के तहत नोटिस जारी करता है। इस नोटिस को उस समय भी भेजा जा सकता है जब आपकी आय करयोग्य है, लेकिन आपने मूल्यांकन से बचने के लिए रिटर्न फाइल नहीं की है। ऐसे मामलों में, निर्धारण अधिकारी आपको नोटिस भेजता है और धारा 148 के प्रावधान के अनुसार आयकर रिटर्न
फाइल करने के लिए कहता है। 1 अप्रैल, 2021 से, निर्धारण अधिकारी को उस संबंधित मूल्यांकन वर्ष जिस वर्ष में कर से जुड़ा मामला सामने आया था, से तीन वर्ष की अवधि तक मामले को रि-ओपन करने की शक्ति प्राप्त है या फिर यदि संबंधित वित्तीय वर्ष के दौरान 50 लाख रूपये से अधिक की आय को नहीं दर्शाया जाता है, तो निर्धारण अधिकारी संबंधित वित्तीय वर्ष से तीन वर्ष बाद तक लेकिन 10 वर्ष से पहले मामले को रि-ओपन करने की शक्ति रखता है। धारा 148 के अंतर्गत नोटिस की परेशानी से बचने के लिए, आपको ऐसी हर सावधानी उठानी चाहिए जिससे यह पता लगता है कि आपने कर बचाने के इरादे के बिना आयकर रिटर्न फाइल की है।
जब आपको टैक्स विभाग से नोटिस मिलता है तो आपको घबराना नहीं चाहिए। निर्धारित समय के अंदर नोटिस का उत्तर देना महत्वपूर्ण होता है। अपनी बात को साबित करने के लिए हमेशा ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ उत्तर दें और टैक्स विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेज संलग्न करें। यदि आपको नहीं पता कि नोटिस का उत्तर किस तरह से दें, तो आपको किसी कर विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
यह लेख बैंकबाजार के सौजन्य से है) (डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)