- देश में ब्रेड बनाने के लिए गेहूं के आटे का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है।
- देश में जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं।
- गेहूं की कीमतों पर ईंधन की बढ़ती कीमतों का दबाव है।
नई दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी के लिए बुरी खबर है। जनता रसोई गैस सिलेंडर और खाने के तेल की उच्च कीमत से पहले ही परेशान है। अब अगले महीने से आम आदमी को महंगाई का एक और झटका लग सकता है। जल्द ही आटा, ब्रेड और बिस्किट समेत आटे से बनने वाले सभी प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ सकते हैं।
बढ़ गई है गेहूं के आटे की कीमत
दरअसल गेहूं के आटे की औसत मासिक रिटेल कीमत पिछले एक साल के दौरान 12 साल के उच्चतम स्तर, यानी 32.3 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की समान अवधि में गेहूं के आटे का औसत रिटेल मूल्य 29.1 रुपये प्रति किलोग्राम था।
क्यों बढ़ी गेहूं के आटे की कीमत?
भारत में गेहूं के प्रोडक्शन और भंडार दोनों में गिरावट दर्ज की गई है। इससे गेहूं के आटे के दाम बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, रूस और यूक्रेन के युद्ध (Russia Ukraine War) की वजह से भी देश में इसकी कीमत प्रभावित हुई है। युद्ध की वजह से विदेशी बाजारों में गेहूं की मांग बढ़ गई है। मालूम हो कि रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के बड़े उत्पादक देश हैं।
ज्यादा गर्मी से फसल पर होता है बुरा असर
आमतौर पर गेहूं कि कटाई के सीजन की शुरुआत से ही आपूर्ति बढ़ने का दबाव होता है, जिससे मंडी में इसके दाम कम हो जाते हैं। लेकिन इस बार पर्याप्त मांग के बीच आपूर्ति में गिरावट आई है। इससे दाम की तेजी बनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन इलाकों में गेहूं का प्रोडक्शन होता है, वहां ज्यादा गर्मी की वजह से इस बार फसल की संभावना कम जताई जा रही है। ज्यादा गर्मी की वजह से गेहूं की फसल पर बुरा असर होता है।
एमएसपी से ज्यादा है गेहूं की कीमत
भारत में गेहूं की कीमत 2,400 रुपये प्रति क्विंटल के करीब है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा है। जबकि साल 2022-23 के कारोबारी सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।