- विजय माल्या को साल 2017 में अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया था।
- SC ने इस मामले में फैसला 10 मार्च को सुरक्षित रख लिया था।
- विजय माल्या मार्च 2016 से ही ब्रिटेन में रह रहा है।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) को चार सप्ताह के भीतर आठ फीसदी ब्याज के साथ चार करोड़ डॉलर यानी 40 मिलियन डॉलर सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी को जमा करने को कहा। अदालत ने कहा कि ऐसा करने में विफल रहने पर ना सिर्फ संपत्तियों को कुर्क किया जाएगा, बल्कि उन्हें दो महीने की अतिरिक्त सजा भी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2017 के अदालत की अवमानना के मामले में माल्या को चार महीने जेल की सजा सुनाई है। न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस मामले में माल्या पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
क्या है पूरा मामला?
उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने अदालत के आदेशों को धता बताकर अपने बच्चों के अकाउंट में चार करोड़ डॉलर भेजने को लेकर माल्या को अवमानना का दोषी ठहराया था। यह आदेश जस्टिस यू यू ललित, एस रवींद्र भट और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने पारित किया है। अदालत ने कहा, 'अगर इसे जमा नहीं किया जाता है, तो वसूली अधिकारी उक्त राशि की वसूली के लिए उचित कार्रवाई कर सकते हैं और भारत सरकार और सभी एजेंसियों को उस प्रक्रिया में सहायता करनी चाहिए।'
अवमानना का मामला: विजय माल्या को चार महीने की जेल और 2000 रुपये का जुर्माना
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ ने माल्या के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की थी। आरोप लगा था कि भगोड़े शराब कारोबारी ने तथ्यों को छिपाया और कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन किया और अपने बेटे सिद्धार्थ माल्या और बेटियों लीना माल्या और तान्या माल्या को पैसे भेजे।
2016 से ब्रिटेन में है माल्या
मालूम हो कि 10 फरवरी को शीर्ष अदालत ने माल्या को व्यक्तिगत रूप से खुद को या अपने वकील के माध्यम से अवमानना मामले में पेश होने के लिए दो सप्ताह का अंतिम अवसर दिया था। विजय माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में है। उन्हें 18 अप्रैल 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड ने प्रत्यर्पण वारंट पर जमानत दी थी।