नई दिल्ली : एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 09 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है। एसएंडपी ने सोमवार को 2020-21 के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर शून्य से 9 प्रतिशत नीचे कर दिया। पहले उसने भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से निजी खर्च और निवेश लंबे समय तक निचले स्तर पर रहेगा। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स एशिया-प्रशांत के अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा कि कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ने की वजह से निजी आर्थिक गतिविधियां रुकी हुई हैं।
अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से भारत में निजी खर्च और निवेश लंबे समय तक निचले स्तर पर रहेगा। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का अनुमान है कि 31 मार्च, 2021 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9% की गिरावट आएगी। इससे पहले एसएंडपी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 5% की गिरावट का अनुमान लगाया था। एसएंडपी का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 10% रहेगी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वृद्धि परिदृश्य के जोखिमों में अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्रों में कमजोर सुधार और सूक्ष्म और लघु उद्यमों को गहरे आर्थिक नुकसान को शामिल किया गया है। एसएंडपी ने कहा कि इसके अतिरिक्त यदि कर्ज की किस्त के भुगतान की छूट की अवधि समाप्त होने के बाद ऋण की गुणवत्ता खराब होती है, तो पुनरोद्धार की रफ्तार और सुस्त होगी। सिर्फ एक चीज ऐसी है जिससे वृद्धि बढ़ सकती है, वह है हमारे अनुमान से पहले व्यापक रूप से कोविड-19 के टीके का वितरण। हमारा अनुमान है कि यह टीका 2021 के मध्य में उपलब्ध होगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी में 23.9% की गिरावट उम्मीद से कहीं अधिक रही है। एसएंडपी ने कहा कि जून में भारत ने लॉकडाउन में ढील दी। हमारा मानना है कि इस महामारी की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां अभी बाधित रहेंगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूटीओ) के आंकड़ों के अनुसार 11 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत में प्रतिदिन संक्रमण के औसतन 90,000 नए मामले आए। अगस्त में यह औसत 70,000 प्रतिदिन का था। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जब तक कि वायरस का प्रसार का रुकता नहीं है, उपभोक्ता बाहर निकलकर खर्च करने में सतर्कता बरतेंगे तथा कंपनियां दबाव में रहेंगी।
पिछले सप्ताह दो अन्य वैश्विक रेटिंग एजेंसियों मूडीज और फिच ने भी भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाया था। मूडीज ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.5% तथा फिच ने 10.5% की गिरावट का अनुमान लगाया है। हालांकि, गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 14.8% की गिरावट आएगी।
घरेलू रेटिंग एजेंसियों की बात की जाए, तो इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.8% की गिरावट का अनुमान लगाया है। क्रिसिल ने 9 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है। एसएंडपी ने कहा कि औद्योगिक गतिविधियों में सुधार सेवाओं की तुलना में तेज है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उत्पादन अभी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कम है। ऐसे में जुलाई-सितंबर की तिमाही में भी भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत में ऊंचे राजकोषीय घाटे की वजह से वित्तीय प्रोत्साहन की गुंजाइश कम होती है। अभी तक जो लक्षित वित्तीय उपाय किए गए हैं वे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.2 प्रतिशत के बराबर हैं।