नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने इस मौके पर दो प्रेजेंटेशन पेश किए जिनमें एक श्री लंका के हालात और भारत के द्वारा दी जा रही आर्थिक मदद की बात थी। वही दूसरी राज्यों के माली हालत पर वित्त मंत्रालय के द्वारा पेश की गई प्रेजेंटेशन पर विपक्षी पार्टी बिफर पड़ी।वित्त सचिव और सरकार के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनन्त नागेश्वरन् के द्वारा दी जा रही प्रेजेंटेशन पर पार्टियों ने शिकायत की, राज्यों ने कहा कि पहले केंद्र की वित्तीय हालत पर चर्चा करें।
टीएमसी वाई आर एस कांग्रेस, डीएमके टीआरएस ने विरोध किया। ज्यादातर विरोध करने वाली पार्टियों की मांग थी कि श्री लंका बैठक में संकट से उबरने की बात होनी चाहिए।अगर राज्यो के माली हालत पर बात करनी है तो इसके लिए अलग बैठक होनी चाहिए और बैठक में बात मंत्री के द्वारा होनी चाहिये ना की ब्यूरोक्रेसी के तरफ से..
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ''श्रीलंका के हालात बहुत खराब हैं''
इधर बैठक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका के हालात बहुत खराब है, पड़ोसी देश हैं भारत की नीति रही है नेवर फर्स्ट उसी नीति पर हम काम कर रहे है। दूसरा हमे क्या सीखना चाहिये। श्री लंका संकट से सबसे बड़ी सीख है जिम्मेदार सरकार , मुफ्त के कल्चर को बंद करना और वितीय हालात को बेहतर करे। राज्यों के आरोप पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि उन राज्यों के नाम इसलिए ऊपर थे क्योंकि उनकी उधारी ज्यादा थी हम किसी एक स्टेट का नहीं बल्कि तुलनात्मक डेटा बता रहे थे अगर किसी राज्य की उधारी ज्यादा होगी तो उनके नाम ऊपर आएंगे।
'आल पार्टी मीटिंग' सरकार के तरफ से श्री लंका संकट पर बुलाई गई थी
45 पार्टी को बुलाया गया था 28 पार्टी आई थीं बैठक में 2 प्रेजेंटेशन दिया गया। 1 पोलिटिकल था क्यों हालात खराब हुई, भारत ने क्या मदद किया और क्या कर रहे है संकट से उबारने के लिए वित्त मंत्रालय के प्रेजेंटेशन दिया। वितीय हालात को लेकर 3.8 बिलियन डॉलर मदद किया है, नेवर हुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत मदद किया।