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Mutual Funds Redemption : म्यूचुअल फंड्स में निवेश बंद करवा लिया? अब हो रहा है अफसोस, जानिए क्या करना चाहिए

Updated Jul 21, 2021 | 15:41 IST

घबराहट में म्यूचुअल फंड्स को रिडीम करवाना लंबे समय में लाभदायक साबित नहीं होगा। जिन्होंने निवेश को बनाए रखा, उन्हें फायदा हुआ।

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म्यूचुअल फंड्स रिडम्पशन के फैसले पर अफसोस हो रहा है? जानिए सामाधान (तस्वीर-istock)
मुख्य बातें
  • स्टॉक मार्केट में कभी-कभी तेजी से बदलाव होते हैं। 
  • निवेश वैल्यू में तेजी से गिरावट होती है।
  • घबराहट में म्यूचुअल फंड्स में निवेश रोकने से लॉन्ग टर्म में नुकसान होता है।

पिछले साल जब कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण जब स्टॉक मार्केट में गिरावट आई थी तो अनेक निवेशकों ने अपनी म्यूचुअल फंड्स यूनिट्स को रिडीम करवा लिया था। इस बात के डर के साथ कि उनकी निवेश वैल्यू में और भी अधिक गिरावट होगी, अनेक निवेशकों ने घबराहट में रिडम्पशन्स करवा ली थी और अपने निवेश को बंद कर दिया था। लेकिन, कुछ ही महीनों के भीतर भारतीय स्टॉक मार्केट में बहुत अधिक तेजी देखी गई और यह अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। स्टॉक मार्केट से जुड़े डायनामिक्स में बहुत तेजी से बदलाव हुए और घबराहट के कारण की जाने वाली किसी भी प्रतिक्रिया जैसे म्यूचुअल फंड्स को रिडीम करवाना लंबे समय में लाभदायक साबित नहीं होगा। वे निवेशक जिन्होंने निवेश को बनाए रखा, वे लाभान्वित हुए लेकिन जिन निवेशको ने कम वैल्यूऐशन पर अपने यूनिट्स को रिडीम करवा लिया, उन्हें हानि उठानी पड़ी।

यदि आप ऐसे निवेशकों में आते हैं जिन्होंने अपने निवेश को रिडीम करवा लिया था, अब समय नहीं है कि उसके लिए अफसोस करते रहें, बल्कि अब तो उस गलती को सुधारने और अपने निवेश को फिर से ट्रैक पर लाने का समय है। कुछ न करने से तो देरी ही भली है। आपको अपने म्यूचुअल फंड्स निवेश को फिर से स्ट्रीमलाइन करने के लिए यहां पर कुछ उपयोगी बातों पर चर्चा की गई है।

रिडम्प्शन पर प्राप्त की गई राशि पर विचार करें

यह संभव है कि आपने रिडीम करवाई गई राशि के एक हिस्से का पहले से ही इस्तेमाल कर लिया हो। इसलिए, शुरुआत करने के लिए, यह देख लें कि रिडीम करवाई गई रकम में से आपके बैंक खाते में कितनी रकम अभी बाकी है। अगर पूरी रकम का फिर से निवेश करना संभव है, तो ऐसा कर लें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है, तो कोशिश करें कि उस राशि को ऐसे ही रहने दें। अगर पूरी रिडीम करवाई गई रकम उपलब्ध है, तो स्टेग्गर्ड पैटर्न के रूप में इस राशि के निवेश के लिए तैयार रहें।

अपनी सभी एसआईपी को रिस्टार्ट करें

रोक दिए गए अपने सभी सिस्टेमेटिक निवेश (एसआईपी) प्लान को तत्काल उसी अनुपात और उसी अवधि के साथ चालू करें। मार्केट के उच्च स्तरों से आपको निराश नहीं होना चाहिए। याद रखें कि बाजार के लिए टाइमिंग की वजह से आप वैल्थ क्रिएट नहीं करते हैं, बल्कि मार्केट में बिताए गए समय से आपको लंबे समय के दौरान वैल्थ क्रिएट करने में मदद मिलती है। अगर जरूरी लगता है तो आप अपने वित्तीय सलाहकार से पोर्टफोलियो में किसी नई स्कीम को जोड़ने के बारे में चर्चा कर सकते हैं।

जब भी मार्केट में गिरावट आती है, तो अतिरिक्त खरीददारी करें

मार्केट में उतार-चढ़ाव जारी रहते हैं और इसमें छोटी अवधि में करेक्शन फेज आते रहते हैं। इस बात की सलाह दी जाती है कि मार्केट में इस प्रकार की गिरावट को लेकर आपको सावधानी से अपनी नजर बनाए रखनी चाहिए। क्योंकि आप एक वर्ष से मार्केट से बाहर रहे हैं, इसलिए, अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने के लिए अपने कैश बैलेंस को मार्केट में लगाने से पहले मार्केट में होने वाले मूवमेंट्स के बारे में आपको सजग रहना होगा। आप म्यूचुअल फंड्स के बारे में ‘डिप्स पर खरीददारी करें’ रणनीति को अपनाने पर विचार कर सकते हैं। इससे आप अपने पास उपलब्ध कैश या रिडीम करवाई गई रकम को समझदारी से इस्तेमाल कर पाएंगे।

अधिकांश म्यूचुअल फंड्स निवेशकों को अपनी मौजूदा स्कीमों में अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने या बिलकुल नई स्कीम को खरीदने की अनुमति देते हैं। इससे आपको अपने निवेश की औसत खरीद कीमत नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) को कम करने में मदद मिलती है, और जब आप आखिरकार अपने यूनिट्स की बिक्री करते हैं तो आपको अधिक लाभ मिलता है। यह बात महत्वपूर्ण है कि जब मार्केट में गिरावट होती है, तो उस समय आप अधिक यूनिट्स कलेक्ट कर पाते हैं। परिणामस्वरूप, जब मार्केट रिकवर करती है और फिर से उसमें तेजी आती है, तो आपकी निवेश वैल्यू में भी बढ़ोतरी होगी। इस प्रकार की एप्रोच से आपको अपने पिछले वर्ष की हानि को किसी हद तक दूर करने में मदद मिलेगी।

लेकिन, अतिरिक्त खरीददारी करते समय, आपको इस बात को भी ध्यान रखना चाहिए कि आप एक ही बारी में अपनी पूरी रकम का निवेश नहीं करते हैं। कभी-कभी ऐसा करना खतरनाक साबित होता है। इसकी बजाए, आपको अपने कैश का निवेश धीरे-धीरे और लगातार करते रहना चाहिए और ऐसा 6-12 महीनों की अवधि में करना चाहिए। इस प्रकार की स्ट्रेटजी से आपको अपनी निवेश लागत को कम रखने में मदद मिलेगी क्योंकि समय के साथ खरीद की गई यूनिट्स की कीमतें औसत स्तर तक हो जाएंगी। यदि आप नियमित रूप से मार्केट पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, तो अतिरिक्त खरीददारी के लिए अपने निवेश सलाहकार से संपर्क करना अच्छी बात होगी ताकि आप अतिरिक्त खरीददारी के बारे में मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।

निष्कर्ष

याद रखें कि स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। इसलिए, म्यूचुअल फंड निवेशक के रूप में, आपको धैर्य रखना होगा, अनुशासित रहना होगा और नियमित निवेश करना होगा। अपने म्यूचुअल फंड्स के बारे में कदम उठाते समय सावधान रहने के साथ-साथ समझदारी को भी अपनाएं। घबराएं नहीं। जब मार्केट नीचे गिरती है, तो रिडम्प्शन का फैसला करने से पहले, अपने आप से यह पूछें कि क्या आपको पैसे की जरुरत है? क्या आपका वित्तीय लक्ष्य (जिसके लिए आपने निवेश की शुरुआत की थी) करीब आ रहा है? अगर उत्तर ‘नहीं’ है, तो अपने निवेश को बेचने से बचें। दीर्घकालिक निवेश को रोकने से न केवल आपकी वित्तीय प्लानिंग प्रभावित होती है, बल्कि उससे ऐसी क्षति हो सकती है जिसकी रिकवरी करना मुश्किल हो सकता है।

म्यूचुअल फंड्स में किया गया निवेश लंबे समय में वैल्थ क्रिएशन के लिए होता है। स्टॉक मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव जिंदगी में रियल वैल्थ क्रिएट करने की संभावनाओं को बेहतर बनाते हैं। गिरावट होने पर नियमित रूप से अधिक खरीददारी करने और मार्केट में स्थिति कैसी भी हो, इसको नजरअंदाज करके अपने वित्तीय लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित करने से आपको बहुत अधिक सहायता मिलेगी। यह कामयाब नीति है। इसको अपना कर देखें।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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